विनोद खन्ना बने हीरो से डाकू – जाने फिल्म मेरा गांव मेरा देश के किस्से
मेरा गांव मेरा देश 1971 की एक्शन ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन राज खोसला ने किया है, जिसे अख्तर रोमानी ने लिखा है, और इसमें धर्मेंद्र ने मुख्य भूमिका निभाई है और विनोद खन्ना ने डाकू की भूमिका निभाई है। यह बॉक्स ऑफिस पर सफल रही।
कहा जाता है कि विनोद खन्ना को फिल्म जगत में लाने के लिए सुनील दत्त जिम्मेदार रहे उन्होंने उनको अपनी फिल्म मन का मीत के लिए सर्वप्रथम साइन किया तभी विनोद खन्ना सच्चा झूठा आन मिलो सजना, पूरब पश्चिम रेशमा और शेरा, रखवाला, मेरे अपने ने जैसी हिट फिल्में कर चुके थे,राज खोसला एक बड़े निर्माता निर्देशक थे 1971 के दौरान उन्होंने इस फिल्म का ऐलान किया और बनाई मेरा गांव मेरा देश जिसके अंदर विनोद खन्ना ने एक डकैत का किरदार किया जिसका नाम था जब्बर सिंह
विनोद खन्ना ने जब्बर सिंह के किरदार में अलग प्रकार की जान भर दी , काला तिलक, रौबदार मूंछ,सफेद घोड़ा से एक खूंखार डाकू को अमर बना दिया, विनोद खन्ना ने अपने करियर में कई बार नेगेटिव रोल या खलनायक की भूमिका भी करी है जिसको दर्शकों ने बहुत सराहा
इसके बाद फिल्म जगत में एक ऐसा दौर आया के कई अन्य निर्माताओं और निर्देशकों ने इस विषय पर फिल्मे बनाना चालू कर दी ।
धर्मेंद्र ने भी इस फिल्म के बाद – समाधि, पत्थर और पायल एवं सुपर हिट फिल्म शोले जैसी फिल्मो मैं काम किया जो डाकू समस्या पर आधारित थी । राज खोसला ने बाद में एक और फिल्म बनाई जिसका नाम था कच्चे धागे परंतु इस बार में धर्मेंद्र की जगह कबीर बेदी
फिल्म में कई हिट गाने शामिल हैं: “अपनी प्रेम कहानियां“, “सोना लाई जा रे“, “कुछ कहता है ये सावन” और “मार दिया जाए दिल छोड़ दिया जाए“।
फिल्म की शूटिंग उदयपुर के पास चिरुआ नामक गांव में की गई थी जिसमे खोसला साब ने स्थानीय लोगो की भी फिल्म में काम करने का मौका दिया था, आशा जी का मेकअप एवं वेश भूषा भी उसी इलाके के हिसाब से रखे गए थे
मुमताज को भी राज जी इस फिल्म में लाइन चाहते था परंतु किसी कारण उन्होंने मना कर दिया आशा पारेख और धर्मेंद्र की जोड़ी उन दिनों हिट की गारंटी मानी जाती थी दोनों आया सावन झूम के ,शिकार जैसी हिट फिल्म कर चुके थे