फिल्मफेयर अवार्ड्स में आनंद ब्रदर्स का जवर्दस्त सिक्का चला , विजय आनंद ने दी कई सुपरहिट फिल्में
एक्टर के साथ ही था राइटर और डायरेक्टर भी:
हिंदी सिनेमा का एक ऐसा सितारा जो राइटर-डायरेक्टर भी था और जबरदस्त एक्टर भी। जिन्होंने ‘गाइड’ और ‘जॉनी मेरा नाम’ जैसी फिल्में देकर देवानंद को सुपरस्टार बना दिया था। हम बात कर रहे हैं विजय आनंद की। चेतन आनंद और देवानंद के छोटे भाई विजय आनंद का जन्म 22 जनवरी 1934 को पंजाब के गुरदासपुर मे हुआ था। 23 फरवरी 2004 को विजय आनंद इस दुनिया से अलविदा हो गए थे, लेकिन विजय अपनी फिल्मों के जरिए आज भी लोगो के दिलो में जिंदा हैं।
भाइयो के पदचिह्नों पर चलते हुए पहुंचे मुंबई
विजय आनंद के पिता पंजाब के जाने-माने वकील थे। विजय जब केवल 7 साल के थे तभी उनकी मां का देहांत हो गया था। इसके बाद वो अपने बड़े भाई और भाभी की छत्र छाया में पले बढ़े। जब ये अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर रहे थे तब बड़े भाई चेतन और देवानंद फिल्म इंडस्ट्री में नाम बना चुके थे। भाईयों के पदचिह्नों पर चलते हुए विजय आनंद भी मुंबई चले गए।
सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की
मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। कॉलेज के दिनों में विजय ने अपनी भाभी उमा आनंद के साथ मिलकर एक स्क्रिप्ट लिखी जिसपर आगे चलकर फिल्म बनी ‘टैक्सी ड्राइवर’। फिल्म ‘टैक्सी ड्राइवर’ का डायरेक्शन चेतन आनंद ने किया था जबकि फिल्म में एक्टर और निर्माता देवानंद थे। ये फिल्म खूब चली जिसके बाद विजय आनंद फिल्म इंडस्ट्री को अच्छी तरह से समझने लगे थे।
फिल्म निर्देशन की शुरुआत की फिल्म ‘नौ दो ग्यारह’ से
इसके बाद विजय आनंद ने ‘काला बाजार’ और ‘तेरे घर के सामने’ जैसी फिल्मे बनाईं। ये दोनों फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुईं। इसके बाद ऐसी फिल्म आई जिसके लिए विजय को हमेशा याद रखा जाएगा। आरके लक्ष्मण के उपन्यास पर आधारित ‘गाइड’ फिल्म से विजय ने बोल्ड सब्जेक्ट को बेहद संजीदगी से दर्शकों तक पहुंचाया। ‘गाइड’ फिल्म ने तमाम नेशनल और इंटरनेशनल अवार्ड जीते। फिल्मफेयर में भी आनंद ब्रदर्स का सिक्का जबरदस्त तरीके से चला था।‘गाइड’ फिल्म के लिये उन्हें फिल्म फेयर पुरस्कार के अलावा ‘डबल क्राॅस’ फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ संपादक का पुरस्कार भी मिला था। उन्होंने फिल्म निर्देशन की शुरुआत ‘नौ दो ग्यारह’ फिल्म से की थी, और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
विजय आनंद हुए थे तनाव का शिकार
विजय आनंद की प्रसिद्ध फिल्मों में ‘ज्वेल थीफ’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘काला बाजार’, ‘राम बलराम’ भी शुमार थी। फिल्म इंडस्ट्री में करियर की बुलंदियों में एक दौर ऐसा भी आया था जब विजय आनंद तनाव का शिकार हो गए थे। जिसके बाद वो कुछ दिनों के लिए ओशो के सानिध्य में चले गए। विजय ने ओशो से आध्यात्म सीखा। 23 फरवरी 2004 को दिल का दौरा पड़ने से विजय आनंद का निधन हो गया।