जाने किस तरह सैफ अली खान के पूर्वज नवाब कहलाने लगे…, अफगानिस्तान से रहा है खान फैमिली का नाता

बॉलिवुड की महारानी करीना कपूर ऐसे खानदान की बहू हैं, जिसका दबदबा अंग्रेज़ों के जमाने में ही नहीं, मुगल काल से रहा है।

अफगानिस्तान के हैं पूर्वज

सैफ अली खान के पूर्वज 532 साल पहले अफगानिस्तान से भारत आए थे। उनका परिवार भड़ैंच कबीले से ताल्लुक रखता था । जो क्वेटा के उत्तर पश्चिम में रहते थे। परिवार में पहले शासक सरदार शम्स खान थे, जिनका जन्म 1190 और मृत्यु 1280 में हुई। वह धार्मिक विचारों के थे। उनके कई अनुयायी भी थे।

1480 ई. में भारत आए

1480 में दिल्ली के अफगानी सुल्तान बहालुल लोदी के समय सलामत खान भड़ैंच को दिल्ली के आसपास मेवाती लोगों को काबू करने के लिए बुलाया गया था। सलामत खान ने गुड़गांव, रोहतक, करनाल और हिसार में अपना दबदबा कायम कर लिया।

शेरशाह सूरी से रही दोस्ती

लोदी के पौत्र इब्राहिम लोदी ने स्वतंत्र अफगानी कबीलों को काबू कर अपने अधीन करने का प्रयास किया , उन्होंने इनका इसका विरोध हुआ। सलामत खान का दिल्ली से टकराव हो गया। जब बाबर ने भारत पर आक्रमण किया तो सलामत खान ने उसमें भाग नहीं लिया। बाद में वह मुगल कैंप में शामिल हो गए। वहां उनकी फरीद खान उर्फ शेरशाह सूरी से मुलाकात हुई। बाद में दोनों परिवारों में रिश्तेदारियों बन गईं। आज भी जब परिवार में कोई शादी होती है, तब गाए जाने वाले विवाह गीतों में इसका जिक्र होता है। 1535 में सलामत खान की मृत्यु हो गई।

सम्राट अकबर के दरबारी रहे

सलामत खान के प्रपौत्र पीर मुहम्मद खान सम्राट अकबर के दरबार में सलाहकार रहे। लगभग 200 वर्ष तक इस परिवार को जहां लगा कि लड़ाई उन्हें शोहरत एवं पैसा देगी, उन्होंने सैनिक सेवाएं दीं। वे बंगाल एवं अवध के लिए भी लड़े। सिंधिया के पक्ष में 1796 में लालकूट और खुशाल गढ़ में जयपुर के प्रताप सिंह से भी भीड़े ।

कैसे पटौदी के नवाब बने

1800 ई. तय हो गया कि अंग्रेज सुपर पावर बनेंगे। इसी खानदान से ताल्लुक रखने वाले अलफ खान अच्छे लड़ाके थे। उन्होंने परिवार सहित खुद को लॉर्ड लेक के समक्ष प्रस्तुत किया और अंग्रेजों की तरफ से होलकर और मराठों से लड़े। इसके इनाम स्वरूप लॉर्ड लेक ने 1804 में उनके बेटे फैज तलब खान को पटौदी की जागीर दी। उन्हें न्यायिक और रेवेन्यू अधिकार भी दिए। उस समय इसका क्षेत्रफल 137 स्क्वेयर किलोमीटर था। इससे वह नवाब कहलाने लगे। 1831 में फैज तलब खान की मृत्यु हो गई।

उनके बेटे अकबर अली खान पटौदी के दूसरे नवाब बने। वे आधुनिक पटौदी के जन्मदाता कहे जाते हैं। वे एक ऐसे दार्शनिक थे, जिन्होंने अपना राज्य 1857 के मुश्किल भरे समय में भी कुशलता से चलाया।

दिन की रामलीला शुरू करवाई

एक रोचक कहानी है। जब मो. मुज्जफर अली खान मुकदमे के सिलसिले में दिल्ली गए हुए थे तो उन्होंने चांदनी चौक में भरत मिलाप का जुलूस देखा। उन्हें बताया गया कि जो कोई भी मन्नत मानता है, उसकी मन्नत पूरी होती है। खान ने मन्नत मानी कि यदि वे मुकदमा जीत गए तो पटौदी में भी रामलीला शुरू करवाएंगे। वे मुकदमा जीत गए। उन्होंने पटौदी में दिन की रामलीला शुरू करवाई। यह आज तक चल रही है।

क्रिकेट से नाता

1917 में पटौदी के आठवें नवाब इफ्तिखार अली खान की शादी भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खान की दूसरी बेटी बेगम साजिदा सुल्तान से हुई। वह क्रिकेट के प्रसिद्ध खिलाड़ी रहे और इंग्लैंड और भारत के लिए खेले। वह हॉकी और पोलो के भी अच्छे खिलाड़ी थे। 1948 में रियासत का भारत में विलय हो गया। 1952 में उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे मंसूर अली खान नवाब बने। 1971 में देश में नवाब की उपाधि समाप्त हो गई। नवाब मंसूर अली खान की शादी फिल्म ऐक्ट्रेस शर्मिला टैगोर से 27 दिसंबर 1968 को हुई। उनकी मृत्यु 22 सितंबर 2011 को हुई।

सैफ की दूसरी शादी

मंसूर अली खान के बेटे सैफ अली की पहली शादी अमृता सिंह से अक्टूबर 1991 में हुई। उनके दो बच्चे हैं- सारा अली खान एवं इब्राहिम अली खान। वर्ष 2004 में दोनों का तलाक हो गया। और फिर अम्रता सिंह और सैफ अली का डिवोर्स हो गया था , उसके बाद उन्होंने दूसरे शादी करीना कपूर से की , जिसे उन्हें एक बेटा ‘तैमूर ‘ हुआ ।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *