13 साल की सरोज खान ने 41 साल के सोहनलाल से की थी शादी, कामियाबी बनी थी अलगाव की वजह
बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान :
एक ही कला क्षेत्र से जुड़े पति-पत्नी के बीच पनपने वाले अहम के टकराव को हृषिकेश मुखर्जी की ‘अभिमान’ (1973) में पेश किया गया था। इस फिल्म का नायक ‘गायक’ है और अपनी गायिका पत्नी की बढ़ती लोकप्रियता उसकी परेशानी होती है। वह यह मानने को तैयार नहीं है कि गायन में पत्नी उससे बेहतर है।
क्या कोरियोग्राफी के दो धुरंधरों सरोज खान और बी. सोहनलाल के बीच इसी तरह के अहम ने फासले पैदा किए थे ? 13 साल की उम्र में सरोज खान ने 41 साल के, सोहनलाल से प्रेम विवाह किया था, और चार साल बाद ही वे उनकी जिंदगी से अलग हो गए।
‘निगाहें मिलाने को जी चाहता है’ की कोरियोग्राफी बन गयी दोनों के बीच की दूरियों का कारण
यह अलगाव ऐसे समय हुआ, जब सरोज खान उनकी भरोसेमंद सहायक के तौर पर उभर रही थीं। सोहनलाल साठ के दशक में राज कपूर की ‘संगम’ की शूटिंग के सिलसिले में यूरोप गए हुए थे। लौटने पर उन्हें पता चला कि उनकी गैर-हाजिरी में उनकी शागिर्द सरोज खान ‘निगाहें मिलाने को जी चाहता है’ की कोरियोग्राफी कर वाहवाही बटोर रही हैं। इस कव्वाली की कोरियोग्राफी सोहनलाल करने वाले थे। सरोज खान को मिल रही तारीफों ने उनका अहम आहत हुआ और शायद यहीं से दोनों के अलगाव की वजह बन गयी ।
1920-30 के दशक में कई बड़े राजा-महाराजा उनके प्रशंसक थे
जयपुर में जन्मे सोहनलाल कथक के कलाकार थे। बारह साल की उम्र में उनकी नृत्य कला की धाक का आलम यह था कि 1920-30 के जमाने के कई बड़े राजा-महाराजा उनके प्रशंसक थे। लेकिन तब समाज में नाचने-गाने को हेय दृष्टि से देखा जाता था। इसलिए कम उम्र में ही सोहनलाल अपने तीन भाइयों बी. हीरालाल, बी. चिन्नीलाल और बी. राधेश्याम के साथ जयपुर से चेन्नई चले गए। तीनों भाई भी कथक में निपुण थे। सोहनलाल 1937 में मुम्बई पहुंचे और कोरियोग्राफर के तौर पर फिल्मों में उनका सिक्का जम गया। उन्होंने फिल्मों में समूह नृत्य को नई शैली दी। उनके ‘होठों में ऐसी बात मैं दबाके चली आई’ (ज्वैल थीफ), ‘पिया तोसे नैना लागे रे’ (गाइड) और ‘झुमका गिरा रे’ (मेरा साया) जैसे दर्जनों गाने नृत्य पेश किये ।
सोहनलाल कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद बर्नाड शा और रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाओं के मर्मज्ञ थे। उनकी नृत्य कला के अमरीका और यूरोपीय देशों में कई कामयाब शो हुए, लेकिन सरोज खान के साथ रिश्ता निभाने के मोर्चे पर वे नाकाम रहे। इस नाकामी के परे सरोज खान ने अपना अलग आभा मंडल रचा, जिसकी दूसरी मिसाल फिलहाल दूर-दूर तक नजर नहीं आती। बॉलीवुड के बड़े – बड़े अभिनेता और अभिनेत्रियों को अपने गानों पर नाचने वाली सरोज खान का 71 साल की उम्र में निधन हो गया था ।