लड़कियों के तकिए के नीचे जिसकी तस्वीर होती थी कौन था वह एक्टर , काका जिन्होंने जीते लाखों लोगों के दिल

फिल्म जगत में एक समय आया की लगातार 15 सुपरहिट फ़िल्में  देने के बाद एक  शख्स  ने पूरे फिल्म जगत को अपनी अदाओ  पर फ़िदा कर दिया थे और एक –  पहले सुपरस्टार के तौर पर अपनी पहचान क़ायम कर ली। येह कोई नहीं था इसका नाम था – राजेश खन्ना ये बह कहा जाता है सुपर स्टार का शब्द भी हिंदी फिल्म में राजेश खन्ना के मशहूर होने का बाद आया ।

कुछ हिट फिल्मो के नाम -बहारों के सपने, आराधना, दो रास्ते, बंधन, सफ़र, कटी पतंग, आन मिलो सजना, आनंद, सच्चा झूठा, दुश्मन, अंदाज़, हाथी मेरे साथी, अमर प्रेम,  बावर्ची, अपना देश, मेरे जीवन साथी, अनुराग, दाग़, नमक हराम, द ट्रैन ,रोटी, आप की क़सम, प्रेम कहानी,आशिक़ हूं बहारों का, छलिया बाबू, कर्म, अनुरोध,अमर दीप, प्रेम बंधन, थोड़ी सी बेवफ़ाई, आंचल,  फिर वही रात, बंदिश, क़ुदरत, दर्द, धनवान,  धर्म कांटा, सुराग़, राजपूत, नादान, सौतन अगर तुम न होते, अवतार सूची बहुत बड़ी है ।

उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि उस ज़माने में अभिभावकों ने अपने बेटों के नाम राजेश रखे। फ़िल्म जगत में उन्हें प्यार से काका कहा जाता था। जब वह सुपरस्टार थे, तब एक कहावत बड़ी मशहूर थी-ऊपर आक़ा और नीचे काका। कहा जाता है कि अपने संघर्ष के दौर में भी वह महंगी गाड़ियों में निर्माताओं से मिलने जाया करते थे। वह रूमानी अभिनेता के तौर पर मशहूर हुए। उनकी आंखें झपकाने और गर्दन टेढ़ी करने की अदा के लोग दीवाने थे, ख़ासकर लड़कियां तो उन पर जान छिड़कती थीं।

राजेश खन्ना लड़कियों के बीच बेहद लोकप्रिय हुए। लड़कियों ने उन्हें ख़ून से ख़त लिखे, उनकी तस्वीरों के साथ ब्याह रचाए, अपने हाथ पर उनका नाम गुदवा लिया। कहा जाता है कि कई लड़कियां तो अपने तकिये के नीचे उनकी तस्वीर रखा करती थीं। कहीं राजेश खन्ना की सफ़ेद रंग की कार रुकती थी, तो लड़कियां कार को चूमकर गुलाबी कर देती थीं। काका के पास लड़कियों द्वारा खून से अपने प्यार का इजहार किए सैकड़ों खत आते थे। दीवानगी का आलम यह था कि सैकड़ों लड़कियों ने अपनी अल्हड़ जवानी में अभिनेता की तस्वीर केसाथ ब्याह रचा कर खुद को मिसेज राजेश खन्ना घोषित कर दिया था।

निर्माता-निर्देशक उनके घर के बाहर कतार लगाए खड़े रहते थे और मुंहमांगी क़ीमत पर उन्हें अपनी फिल्मों में लेना चाहते थे।

राजेश खन्ना की कामयाबी में संगीतकार आरडी बर्मन और गायक किशोर का अहम योगदान रहा। उनके बनाए और राजेश पर फ़िल्माये ज़्यादातर गीत हिट हुए। किशोर कुमार ने 91 फ़िल्मों में राजेश खन्ना को आवाज़ दी, तो आरडी बर्मन ने उनकी 40 फ़िल्मों को संगीत से सजाया। राजेश खन्ना अपनी फ़िल्मों के संगीत को लेकर हमेशा सजग रहते थे। वह गाने की रिकॉर्डिंग के वक़्त स्टूडियो में रहना पसंद करते थे। मुमताज़ और शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जो़ड़ी को बहुत पसंद किया गया। आशा पारेख और वहीदा रहमान के साथ भी उन्होंने काम किया।

जैसा फिल्म  आनंद  में  मरते वक़्त आनंद कहता है-बाबू मोशाय, आनंद मरा नहीं, आनंद मरते नहीं। राजेश खन्ना जैसे लोग कभी नहीं  मरते उनकी फिल्म या कोई गीत सुनकर दिल  प्यार से झूम उठता है

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