इस फिल्म में मासूम सी ‘गुड्डी’ उर्फ़ जया भादुड़ी बनी ग्लैमरस गर्ल , जब कादर खान को मिला संवाद लेखन का पहला मौका

एक्टर जया भादुड़ी : 

एक घरेलू सी, सुंदर दिखने वाली लड़की जो कुछ बंगाली फिल्में करने के बाद साल भर पहले ही फिल्म ‘गुड्डी’ में अपनी छाप छोड़ने में सफल रही थी, उसने फिल्म ‘जवानी दिवानी’ तक आते आते लाज को अपनी अदा बनाया और पहली बार ये भी दिखाया कि शोखियां सिर्फ हुस्न परियां ही नहीं बल्कि घरेलू लड़कियां भी दिखा सकती हैं। जया भादुड़ी और रणधीर कपूर की फिल्म ‘जवानी दिवानी’ 14 जुलाई 1972 को रिलीज हुई थी। लोग आज भी इस फिल्म के गाने, ‘ये जवानी है, दिवानी, रुक जाओ रानी, चली कहां ऐसे..’ ‘सामने ये कौन आया दिल में हुई हलचल’ और ‘जाने जां ढूंढता फिर रहा हूं तुम्हें रात दिन…!’ बड़ी सिद्धत से सुनते है । 

जब गुड्डी बनी ग्लैमरस गर्ल

‘गुड्डी’ वाली मासूम, भोली सी जया भादुड़ी को लंबे, घने, काले लहराते हुए बालों के साथ शर्ट पैंट पहने डिस्को में अपनी छोटी सी गुड़िया को थामे लहराते बलखाते देखना उस समय के दर्शकों के लिए ‘सरप्राइज’ रहा। हिंदी सिनेमा ने आठवें और नौवें दशक की फिल्मों के चलते अपनी एक छवि ऐसी भी गढ़ीं जिसमें हीरो हीरोइन एक खास खांचे से निकले दिखते रहे हैं। स्टाइलिश हेयर स्टाइल, रंग बिरंगे चमकते कपड़े, बदन पर चिपकती शर्ट और कमर के नीचे से फर्श तक फैलते जाते बेलबॉटम, कमर में चौड़ी सी चमड़े की बेल्ट और गाना शुरू होते ही कैमरे के फ्रेम में आ जाने वाले दर्जन, डांसर्स। मामला कुछ कुछ ऐसा ही फिल्म ‘जवानी दिवानी’ की शुरुआत में भी दिखता है। लेकिन कहानी या थोड़ी अलग है और म्यूजिक तो बिल्कुल ही अलग।

फिल्म के गाने हुए है थे सुपरहिट 

आर डी बर्मन ने इस फिल्म के गानों में अपना एक अलग ही अंदाज दिखाया। फिल्म में किशोर कुमार और आशा भोसले ने जो कर दिखाया है वो वाकई तारीफ के काबिल है। फिल्म का एक गाना है, ‘जाने जां, ढूंढता फिर रहा हूं तुम्हें रात दिन..!’ इस गाने में किशोर कुमार और आशा भोसले के स्वरों को जिस तरह गायकी के विपरीत सिरों पर रखकर आर डी बर्मन ने ये गाना कंपोज किया है, वह उनकी कलाकारी का बेहतरीन नमूना है। किशोर कुमार ने तो खैर ‘सामने ये कौन आया’ और ‘ये जवानी है दिवानी’ दोनों गानों में कमाल ही कर दिया है। ये उस दौर के गाने हैं जब किशोर कुमार की आवाज उन दिनों के सुपरस्टार राजेश खन्ना की आवाज बन चुकी थी लेकिन किशोर कुमार का कलाकारी में कोई सानी नहीं। यहा गाना रणधीर कपूर पर है तो वह अपनी खास स्टाइल में एक नया मिक्स लाते हैं और गाते हैं, गिली गिली अप्पा, गिली गिली अप्पा, पिली पिली पिली…।

एक नहीं बल्कि दो कहानियां हैं फिल्म, वह भी दो पीढ़ियों की

फिल्म ‘जवानी दिवानी’ में मोहब्बत की एक नहीं बल्कि दो कहानियां हैं और वह भी दो पीढ़ियों की। ‘गुड्डी’ और ‘उपहार’ जैसी फिल्मों से अपनी पहचान बनाने के बाद जया भादुड़ी ने इस फिल्म में अपना लुक और अपना स्टाइल दोनों बदला। इस बार वह स्कूल जाने वाली गुड्डी नहीं थीं, बल्कि जूड़ा बनाए, चमकीली साड़ियां पहने वाली ऐसी लड़की के किरदार में थी, वो बेहद खूबसूरत और हसीन थी। इस एक मुनीम के छोटे बेटे से प्यार हो जाता है। बुआ बनी हैं निरूपा रॉय।

सहायक कलाकारों की दमदार अदाकारी

फिल्म में रणधीर कपूर, जया, निरुपा औऱ बलराज साहनी के अलावा एक और किरदार है जो इस फिल्म को देखने वाले हर शख्स को याद रहा और वह हैं फिल्म में रणधीर कपूर के दोस्त बने सत्येन कप्पू। यहां इस फिल्म में तो उन्होंने एक दो बार नहीं बल्कि तीन बार कमाल किए हैं। डीजे के तौर पर जो उन्होंने किया सो किया ही लेकिन जिस सीन में वह रणधीर कपूर के भाई बनकर टीचर से मिलने जाते हैं, वह दृश्य देखने लायक है। और, एक औऱ सीन जिसमें सत्येन कप्पू बिल्कुल अदाकारी के उस्ताद के तौर पर परदे पर नजर आते हैं, वह है फिल्म का वह सीन जिसमें वह जया भादुड़ी के पिता से मिलने जाते हैं।

कादर खान को मिला संवाद लेखन का पहला मौका

फिल्म को नरेंदर बेदी ने उन दिनों की युवा पीढ़ी के तौर तरीकों के करीब रखने में कामयाबी पाई है। इन दिनों जिस तरह लड़कियों एक दूसरे को ‘ब्रो’ या ‘डूड’ कहकर बुलाती हैं, फिल्म में रणधीर कपूर अपनी एक महिला दोस्त को ‘भाईजान’ कहकर बुलाते हैं। फिल्म की कहानी और पटकथा इंदर राज आनंद ने लिखी है । फिल्म के संवाद लिखे हैं कादर खान ने। बतौर संवाद लेखक कादर खान ने इसी फिल्म से हिंदी सिनेमा में अपना करियर शुरू किया।  एक नाटक देखने के बाद फिल्म ‘जवानी दिवानी’ के निर्देशक नरेंदर बेदी ने उन्हें फिल्मों में संवाद लिखने का न्योता दिया।

जया भादुड़ी से पहले ये रोल रीमा सप्रू को ऑफर हुआ 

जया भादुड़ी से पहले फिल्म में ये रोल रीमा सप्रू को ऑफर हुआ था। रीमा ने बाद में माधुरी दीक्षित के मैनेजर रहे राकेश नाथ से शादी की। रीमा का करियर दरअसल शुरू होने से पहले ही एक हादसे के चलते बिखर गया। उस खतरनाक दुर्घटना में रीमा की जान जाते जाते बची थी, उनके चेहरे पर गहरी चोट लगी। जिसके लिए उन्हें 11 टांके लगाने पड़े और पैर में फ्रैक्चर को ठीक करने के लिए रॉड डालनी पड़ी थी। इस हादसे के चलते ही रीमा हीरोइन नहीं बन सकीं और ये रोल जया भादुड़ी के हिस्से आया। रणधीर कपूर के करियर को सेट करने में फिल्म ‘जवानी दिवानी’ का खास रोल रहा।

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