शेखर कपूर अपनी फिल्मों के जरिए हमेशा साबित करते आए हैं की कैसे डायरेक्टर हैं और फिल्मों और दुनिया को देखने का उनका नजरिया कैसा है। उनके निर्देशन में बनी फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ भी उनके नजरिए को दर्शाती एक ऐसी फिल्म है, जो एक शानदार फिल्म है।
आपको बता दे की इस तरह की फिल्म बनाना बेहद मुश्किल काम है। 1994 में रिलीज हुई ये एक ऐसी फिल्म थी जिसने हर तरफ हलचल पैदा कर दी थी।
फूलन देवी की जिंदगी पर आधारित बायोपिक ‘बैंडिट क्वीन’ जिस साल रिलीज हुई, उसी साल इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला, लेकिन, लोग तब हैरान रह गए, जब फिल्म के डायरेक्टर शेखर कपूर हाथ में हथकड़ी पहने स्टेज पर अवॉर्ड लेने पहुंचे।
बता दे की दरअसल, फूलन देवी के जीवन पर बनी बैंडिट क्वीन जब सिनेमाघरों में रिलीज हुई तब कई जगहों पर ये फिल्म बैन कर दी गई। फिल्म में कुछ ऐसे सीन और चीजें थीं, जिन्हें सिनेमाघरों में नहीं दिखाया जा सकता था। ऐसे में कुछ जगहों पर बैंडिट क्वीन को बैन कर दिया गया।
हालांकि, बैन का फिल्म पर ज्यादा असर नहीं दिखा। आज भी जब ये फिल्म टीवी स्क्रीन पर आती है, देखकर दर्शकों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। शेखर कपूर ने हाल ही में इस फिल्म से जुड़ा एक किस्सा सोशल मीडिया पर शेयर किया।
उन्होंने हाल ही में उस किस्से को याद करते हुए उस दिन से जुड़ी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की, जिसमें को उन्हें बैंडिट क्वीन में अपने जबरदस्त काम के लिए पुरस्कार मिला था।
बता दे की दिलचस्प बात यह है कि इस पुरानी तस्वीर में शेखर कपूर हथकड़ी लगाए हुए मंच पर नजर आ रहे हैं। इसके पीछे की वजह का भी शेखर कपूर ने खुलासा किया है और बताया कि आखिर स्टेज पर हथकड़ी पहनकर जाने के पीछे की वजह क्या थी।
उन्होंने बताया कि – ‘मुझे फिल्म के लिए अवॉर्ड देने के लिए आमंत्रित तो किया गया, लेकिन अवॉर्ड फक्ंशन वालों ने स्टेज पर कुछ भी कहने से साफ मना कर दिया गया। उन्होंने मुझसे कहा कि आप अवॉर्ड शो में शामिल होंगे, अवॉर्ड लेंगे लेकिन कुछ कहेंगे नहीं।
ऐसे में उन्होंने अपने हाथों में हथकड़ी पहनी, हथकड़ी पहने-पहने ही स्टेज पर गए अपना अवॉर्ड लिया, लेकिन, थैंकिंग स्पीच के दौरान उन्होंने अपने हाथ में लगी हथकड़ी दिखा दी, ये संदेश देने के लिए कि ‘मैं बोलना तो बहुत कुछ चाहता हूं, लेकिन कुछ नहीं कह सकता, क्योंकि मैं बंधा हुआ हूं।