सुन लता मंगेशकर के ये सुपरहिट गाने और इनकी रिकॉर्डिंग से जुड़े कुछ मज़ेदार किस्से , किशोर कुमार से पहली मुलाकात का किस्सा है मज़ेदार

स्वर कोकिला लता मंगेशकर : 

अपनी मधुर आवाज से हजार से ज्यादा फिल्मों में चार चांद लगाने वाली स्वर कोकिला लता मंगेशकर 36 भाषाओं में गाना गा चुकी थीं। पिछले 8 दशकों से गायन को अपनी जिंदगी समर्पित करने वाली लता जी ने महज 13 साल की उम्र में सिंगिंग करियर शुरू किया था। उनके ज्यादातर गाने सदाबहार रहे। जानते हैं उनके कुछ चुनिंदा गाने और उनकी रिकॉर्डिंग से जुड़े कुछ अनसुने किस्से-

फिल्म ‘माया’ के गाने ‘तस्वीर तेरी दिल’ के रिकॉर्डिंग के दौरान हुई बहस 

1961 की फिल्म ‘माया’ के गाने ‘तस्वीर तेरी दिल’ में के दौरान स्टूडियो में लता और रफी साहब की गायकों की रॉयल्टी पर ऐसी बहस छिड़ी की दोनों ने साथ काम न करने का फैसला लिया। सभी गायकों ने मीटिंग रखी, लेकिन रफी साहब, लता और रॉयल्टी मांग रहे सभी सिंगर्स की सोच के खिलाफ थे। रफी साहब ने लता से कहा कि वो अब उनके साथ गाना नहीं गाएंगे। इंडस्ट्री में नई आईं गुस्से की तेज लता ने जवाब में कहा, आप क्या मेरे साथ गाना नहीं गाएंगे, मैं खुद कभी आपके साथ नहीं गाऊंगी। दोनों ने करीब 4 साल तक साथ में गाना नहीं गाया, ना ही कोई मंच साझा किया। फिर साल 1967 में रिलीज हुई फिल्म ‘ज्वेल थीफ’ के गाने ‘दिल पुकारे आ रे आ रे’ को लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी ने अपनी सुरीली आवाज दी थी। 1967 में संगीतकार जयकिशन के कहने पर रफी साहब ने लता से चिट्ठी लिखकर माफी मांगी। 1967 में आरडी बर्मन के एक समारोह में ये गाना गाया।

किशोर कुमार से पहली मुलाकात का किस्सा 

लता मंगेशकर ने फिल्म ‘जिद्दी’ में पहली बार किशोर कुमार के साथ ‘ये कौन आया रे’ गाना गाया था। इस गाने की रिकॉर्डिंग के समय ही पहली बार लता और किशोर की मुलाकात हुई थी। करियर की शुरुआत में लता दी लोकल ट्रेन पकड़कर स्टूडियो जाती थीं। एक दिन महालक्ष्मी स्टेशन में एक व्यक्ति कुर्ता पजामा पहने और छड़ी लिए उनके कंपार्टमेंट में चढ़ गया। लता जी को वो शख्स जाना पहचाना लग रहा था, लेकिन उनका ख्याल साफ नहीं था। जब उन्होंने लोकल से उतरकर तांगा लिया तो वो शख्स भी तांगे से पीछे आने लगा। लता जी घबरा गईं और तेजी में स्टूडियो पहुंची, यहां भी वो शख्स पीछे ही आ रहा था। स्टूडियो पहुंचकर उन्होंने संगीतकार खेमचंद्र के पास जाकर कहा, ये कौन है, जो मेरा पीछा कर रहा है। खेमचंद्र ने पीछे देखा तो हंसने लगे और कहा ये किशोर कुमार है, अशोक कुमार का भाई। कुछ इस तरह संगीत की दुनिया के दो सबसे बड़े सितारों की पहली मुलाकात हुई थी।

बाथरुम में रिकॉर्ड किया था ये गाना 

1960 की फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ में लता जी मधुबाला की आवाज बनी थीं। म्यूजिक डायरेक्टर नौशाद ने 150 गानों को रिजेक्ट करने के बाद प्यार किया तो डरना क्या… सिलेक्ट किया था। ऐसे में उन्होंने लता जी से बाथरुम में ये गाना रिकॉर्ड करवाया था। उस जमाने में 10-15 लाख में पूरी फिल्म बना करती थी, लेकिन इस गाने में पूरे 10 लाख रुपए का खर्च आया था। मधुबाला लता की आवाज की ऐसी दीवानी थीं कि उन्होंने फिल्मों में काम करने की शर्त रखी थी कि उन्हें लता जी ही आवाज देंगी।

जद्दनबाई ने की थी तारीफ 

1948-49 के पास का समय है जब लता बॉम्बे टॉकीज में ‘महल’ फिल्म का गाना आएगा, आने वाला आएगा रिकॉर्ड कर रही थीं। वहां एक्ट्रेस नरगिस और जद्दनबाई अपनी फिल्म लाहौर की शूटिंग कर रही थीं। गाना ध्यान से सुनने के बाद जद्दनबाई ने उन्हें बुलाया और कहा, इधर आओ बेटा, क्या नाम है तुम्हारा। उन्होंने जवाब दिया-जी लता। जद्दनबाई ने तारीफ करते हुए आगे कहा, माशाल्लाह, क्या ‘बगैर’ कहा है, दीपक बगैर कैसे परवाने जल रहे हैं। सुनकर तबीयत खुश हो गई। ऐसा तलफ्फुज हर किसी का नहीं होता, तुम एक दिन बहुत नाम करोगी।

 

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