मोहम्मद रफ़ी है संगीत की दुनिया के ‘शहंशाह-ए-तरन्नुम’ , देखिए उनके जीवन की कुछ दुर्लभ तस्वीरें
दोस्तों, मोहम्मद रफ़ी जिन्हें दुनिया रफ़ी या रफ़ी साहब के नाम से बुलाती है, हिन्दी सिनेमा के श्रेष्ठतम पार्श्व गायकों में से एक थे। आपको बता दे की इन्हें शहंशाह-ए-तरन्नुम भी कहा जाता था।
मोहम्मद रफ़ी का जन्म 24 दिसम्बर 1924 को अमृतसर, के पास कोटला सुल्तान सिंह में हुआ था। आरंभिक स्कूली पढ़ाई कोटला सुल्तान सिंह में हुई। जब मोहम्मद रफी करीब सात साल के हुए तब उनका परिवार रोजगार के सिलसिले में लाहौर आ गया।
मोहम्मद रफ़ी का प्रथम गीत एक पंजाबी फ़िल्म गुल बलोच के लिए था जिसे उन्होने श्याम सुंदर के निर्देशन में 1944 में गाया। सन् 1946 में मोहम्मद रफ़ी ने बम्बई आने का फैसला किया। उन्हें संगीतकार नौशाद ने पहले आप नाम की फ़िल्म में गाने का मौका दिया
आपको बता दे की मोहम्मद रफ़ी हिंदी म्यूज़िक इंडस्ट्री में अपनी वर्सटाइल सिंगिंग के लिए काफ़ी पॉपुलर थे। उन्होंने अपने 40 साल के करियर में 2,50,00 हज़ार से भी ज़्यादा गाने गाये थे, साथ ही उन्हें 7 बार फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड्स भी मिला। मोहम्मद रफ़ी उस दौरान इतने पॉपुलर इसीलिए थे, क्योंकि वो अपनी आवाज़ फ़िल्म के करैक्टर से हू-ब-हू मैच करके गाते थे। यही वज़ह थी कि, उन दिनों की फ़िल्मों में ज़्यादातर गाने मोहम्मद रफ़ी ही गाते थे।जिसके लिए उन्हें 1965 में पद्म श्री पुरस्कार से नवाज़ा गया था।
उनकी हिंदी सिनेमा और म्यूज़िक इंडस्ट्री से जुड़ी कई यादें हैं । जिसे हम आपको तस्वीरों के माध्यम से दिखाएंगे , तो चलिए देखते हैं सिंगर मोहम्मद रफ़ी की पुरानी तस्वीरों को –