मीना कुमारी : पिता नहीं चाहते थे बेटी हो इसलिए छोड़ आये थे अनाथालय , अंत समय में पुकारती रही पति का नाम
सुपरस्टार मीना कुमारी :
अपने जमाने की सुपरस्टार मीना कुमारी, उनका असली नाम महजबीं बानो था। मीना कुमारी का बचपन से लेकर जवानी दुखों से भरा रहा इसलिए इन्हें ट्रेजडी क्वीन भी कहा जाने लगा। मीना की आखिरी फिल्म’ पाकीजा’ थी जिसके रिलीज होने के एक महीने बाद 31 मार्च को उनका निधन हो गया था। जानें उनकी फिल्मी करियर और पर्सनल लाइफ से जुड़े कुछ किस्सों के बारें, जिसे जानने के बाद आपको भी हैरानी रह जाएंगे।
पिता ने जन्म के बाद अनाथालय में छोड़ने को तैयार हो गए थे
एक अगस्त 1932 का दिन था। मुंबई में एक क्लीनिक के बाहर मास्टर अली बक्श नाम के शख्स बड़ी बेसब्री से अपनी तीसरी औलाद के जन्म का इंतजार कर रहे थे। दो बेटियों के जन्म लेने के बाद वह इस बात की दुआ कर रहे थे कि अल्लाह इस बार बेटे का मुंह दिखा दे। तभी अंदर से बेटी होने की खबर आई तो वह माथा पकड़ कर बैठ गए।मास्टर अली बख्श ने तय किया कि वह बच्ची को घर नहीं ले जाएंगे और वह बच्ची को अनाथालय छोड़ आये लेकिन बाद में उनकी पत्नी के आंसुओं ने बच्ची को अनाथालय से घर लाने के लिये उन्हें मजबूर कर दिया। बच्ची का चांद सा माथा देखकर उसकी मां ने उसका नाम रखा ‘माहजबीं’। बाद में यही माहजबीं फिल्म इंडस्ट्री में मीना कुमारी के नाम से मशहूर हुई।
अशोक कुमार के साथ सबसे ज्यादा पसंद आई जोड़ी
वर्ष 1939 मे बतौर बाल कलाकार मीना कुमारी को विजय भटृ की ‘लेदरफेस’ में काम करने का मौका मिला। वर्ष 1952 मे मीना कुमारी को विजय भटृ के निर्देशन में ही ‘बैजू बावरा’ में काम करने का मौका मिला। फिल्म की सफलता के बाद मीना कुमारी बतौर अभिनेत्री फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गई। मीना कुमारी के करियर में उनकी जोड़ी अशोक कुमार के साथ काफी पसंद की गई। मीना कुमारी को उनके बेहतरीन अभिनय के लिए चार बार फिल्म फेयर के सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया है। इनमें बैजू बावरा, परिणीता, साहिब बीबी और गुलाम तथा काजल शामिल है।
अपनी वसीयत में छपवाई थी अपनी लिखी कविताएं
मीना कुमारी यदि अभिनेत्री नहीं होती तो शायर के रूप में अपनी पहचान बनातीं। हिंदी फिल्मों के जाने माने गीतकार और शायर गुलजार से एक बार मीना कुमारी ने कहा,“ ये जो एक्टिंग मैं करती हूं उसमें एक कमी है। ये फन, ये आर्ट मुझसे नहीं जन्मा है। ख्याल दूसरे का, किरदार किसी का और निर्देशन किसी का। मेरे अंदर से जो जन्मा है, वह लिखती हूं जो मैं कहना चाहती हूं वह लिखती हूं। मीना कुमारी ने अपनी वसीयत में अपनी कविताएं छपवाने का जिम्मा गुलजार को दिया जिसे उन्होंने ‘नाज’ उपनाम से छपवाया।
निर्देशक कमाल अमरोही के साथ की थी शादी
वर्ष 1952 में मीना कुमारी ने फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही के साथ शादी कर ली। वर्ष 1962 उनकी आरती, मैं चुप रहूंगी तथा साहिब बीबी और गुलाम जैसी फिल्में प्रदर्शित हुईं। इसके साथ ही इन फिल्मों के लिए वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिए नामित की गई। यह फिल्म फेयर के इतिहास में पहला ऐसा मौका था जहां एक अभिनेत्री को फिल्म फेयर के तीन नोमिनेशन मिले थे। वर्ष 1964 में मीना कुमारी और कमाल अमरोही की विवाहित जिंदगी में दरार आ गई और वो अलग रहने लगे। कमाल अमरोही की फिल्म ‘पाकीजा’ के निर्माण में लगभग चौदह वर्ष लग गए। कमाल अमरोही से अलग होने के बावजूद मीना कुमारी ने शूटिंग जारी रखी क्योंकि उनका मानना था कि ‘पाकीज’ जैसी फिल्मों में काम करने का मौका बार-बार नहीं मिल पाता है।
अपने करियर में करीब 100 फिल्में कीं
आपको बता दें कि फिल्म ‘पाकीजा’ के रिलीज होने के तीन हफ्ते बाद, मीना कुमारी गंभीर रूप से बीमार हो गईं। 28 मार्च, 1972 को उन्हें सेंट एलिजाबेथ के नर्सिग होम में भर्ती कराया गया। मीना ने 29 मार्च, 1972 को आखिरी बार कमाल अमरोही का नाम लिया, इसके बाद वह कोमा में चली गईं। मीना कुमारी महज 39 साल की उम्र में 31 मार्च को इस दुनिया को अलविदा कह गईं। मीना कुमारी ने अपने करियर में करीब 100 फिल्में कीं और सुपरस्टार का दर्जा प्राप्त किया।