इस इंसान से प्रभावित होकर मनोज कुमार ने बदला था अपना नाम , जाने क्यों किया इमरजेंसी पर डॉक्युमेंट्री बनाने से इंकार
मनोज कुमार का ‘भारत कुमार’ बनने तक का सफर:
हिंदी सिनेमा में कई ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने इस फिल्मी दुनिया में कदम रखने के साथ ही अपना नाम बदला है और उसी नए नाम से फैंस उन्हें जानते हैं। बॉलीवुड के मशहूर कलाकार मनोज कुमार भी उनमे से एक हैं, जिन्होंने सिनेमा से प्रभावित होकर अपना नाम बदल लिया था लेकिन फैंस उन्हें प्यार से ‘भारत कुमार’ कहते हैं। 85 साल के मनोज कुमार का असली नाम शायद ही आप जानते होंगे। मनोज कुमार का असली नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी है, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में कई हिट फिल्में की हैं। उन्होंने देशभक्ति से लेकर कई शानदार फिल्मों में भी अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों को जीता है।
हरिकिशन से ऐसे बने मनोज कुमार
24 जुलाई 1937 को हरिकिशन गिरि गोस्वामी (मनोज कुमार) का जन्म ऐबटाबाद में हुआ। बचपन से ही उन्हें एक्टिंग का काफी शौक था। वह अशोक कुमार, दिलीप कुमार और कामिनी कौशल के बहुत बड़े फैन थे। उनकी हर फिल्म देखना काफी पसंद करते थे और उनकी फिल्मों से ही प्रभावित होकर उन्होंने अपना नाम हरिकिशन से बदलकर मनोज कुमार कर लिया था। वह हर जगह अपना नाम मनोज कुमार ही बताते थे, जिससे धीरे-धीरे सब उन्हें मनोज कुमार के नाम से ही जानने लगे।
सिनेमा में ऐसे हुई एंट्री
मनोज कुमार अपने कॉलेज के दिनों में काफी हैंडसम हुआ करते थे और इसी वजह से वह कॉलेज में थिएटर से जुड़ गए थे और फिर वे एक दिल्ली से मुंबई आ गए। उन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत साल 1957 में फिल्म ‘फैशन’ से की थी। इसके बाद 1960 में उनकी फिल्म ‘कांच की गुड़िया‘ रिलीज हुई। इस फिल्म में वह बतौर लीड अभिनेता नजर आए थे, जो की सफल रही थी । मनोज कुमार ने ‘उपकार’, ‘पत्थर के सनम’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘संन्यासी’ और ‘क्रांति’ जैसी कमाल की फिल्में की थी। अधिकतर फिल्मों में मनोज कुमार का नाम ‘भारत कुमार’ हुआ करता था और इसी वजह से वह अपने चाहने वालों के बीच ‘भारत कुमार’ के नाम से मशहूर हो गए।
लाल बहादुर शास्त्री के कहने पर बनाई थी फिल्म
मनोज कुमार का कलाकारों के साथ-साथ राजनेताओं से भी अच्छे संबंध थे। साल 1965 में भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ था और इस युद्ध के बाद ही मनोज कुमार की मुलाकात लाल बहादुर शास्त्री से हुई, जिसमें उन्होंने अभिनेता से हुए युद्ध के कारन होने वाली परेशानियों पर एक फिल्म बनाने के लिए कहा था। हालांकि, उन दिनों तक अभिनेता को फिल्म बनाने का अनुभव नहीं था। इसके बावजूद अभिनेता ने ‘जय जवान जय किसान’ से संबंधित ‘उपकार’ फिल्म बनाई थी , जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया।इस फिल्म को खुद लाल बहादुर शास्त्री नहीं देख पाए थे। ताशकंद से लौटने के बाद लाल बहादुर शास्त्री इस फिल्म को देखने वाले थे। लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया।
इमरजेंसी में झेलीं परेशानियां
मनोज कुमार के लिए इमरजेंसी का दौर काफी मुश्किलों भरा था। इंदिरा गांधी के साथ उनके संबंध अच्छे जरूर थे। लेकिन मनोज कुमार ने इमरजेंसी का विरोध करके सरकार को नाराज कर दिया था। जिसका नतीजा ये हुआ कि मनोज कुमार जब अपनी सुपरहिट फिल्म ‘शोर’ को फिर से सिनेमाघरों में रिलीज करने जा रहे थे। उससे पहले ही यह फिल्म दूरदर्शन पर आ गई थी। इसके अलावा, फिल्म ‘दस नंबरी’ को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने बैन कर दिया था।
इमरजेंसी पर डॉक्युमेंट्री बनाने से किया था इनकार
अमृता प्रीतम ने एक कहानी लिखी थी। इमरजेंसी पर डॉक्युमेंट्री डायरेक्ट करने का प्रस्ताव मनोज कुमार दिया गया था। लेकिन उन्होंने इस काम के लिए मना कर दिया था। हालांकि, वह यहीं शांत नहीं हुए थे। मनोज कुमार ने अमृता प्रीतम को फोन किया था और उन्होंने अमृता प्रीमत को सुनाते हुए कहा क्या आपने लेखक के रूप में समझौता कर लिया है। अमृता प्रीतम इस बात से शर्मिंदा हो गई थीं और उनसे स्क्रिप्ट फाड़ कर फेंक देने के लिए कहा।