अपने दर्द पर इस कलाकार ने लिखी थी स्क्रिप्ट , लेखक के रूप में की थी करियर की शुरुआत
दर्शको को हसाने के साथ-साथ चौकाना भी था पसंद:
बॉलीवुड में हास्य कलाकार तो बहुत हुए, लेकिन इंद्र सेन जौहर की बात कुछ और ही थी। उन्हें दर्शकों को हसाने के साथ-साथ चौंकाना भी अच्छा लगता था। जौहर काफी पढ़े लिखे थे। उन्होंने राजनीति शास्त्र में एमए किया था और फिर एलएलबी भी। इंद्र सेन जौहर जिन्हें आईएस जौहर के तौर पर पुकारा जाता था उन्होंने आपातकाल और नसबंदी जैसे गंभीर व सामाजिक मुद्दों पर भी फिल्में बनाईं। 1949 से लेकर 1984 तक वो फिल्मों में योगदान देते रहे। आज शायद कम ही लोग जानते होंगे कि इन्द्र सेन जौहर करण जौहर के पिता यश जौहर के भाई थे। इंद्र सेन जौहर भारत पाकिस्तान बंटवारे के पीड़ित थे। इनका जन्म 16 फरवरी 1920 को तालगंग में हुआ था। बंटवारे के बाद ये जगह पाकिस्तान में बदल गई। भारत के जालंधर में एक शादी में शामिल होने जौहर का परिवार भारत आया था। दंगों के कारण ये लोग वापस लाहौर नहीं जा सके। इसके बाद इन्होंने जालंधर में ही रहकर काम शुरू किया।
लेखक के रूप में काम की शुरुआत की
काम के सिलसिले में वो अक्सर दिल्ली-मुंबई जाया करते थे। इसी बीच वे मनोरंजन की दुनिया से टकरा गए। जौहर ने यहां एक लेखक के रूप में काम की शुरुआत की। उस समय के मशहूर निर्देशक रूप शौरी ने उनकी लिखी एक स्क्रिप्ट पर फिल्म भी बनाई। इस पिक्चर का नाम था ‘एक थी लड़की’, जो 1949 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में उन्होंने अभिनय भी किया था।
अपने दर्द पर लिखी स्क्रिप्ट
जौहर बंटवारे के दर्द को भुला नहीं पा रहे थे। उन्होंने अपनी लेखनी से इसपर एक स्क्रिप्ट लिखी। फिर षशाधर मुखर्जी ने 1954 में ‘नास्तिक’ नाम की एक फिल्म बनाई। इसके बाद वो स्टार लेखकों की लिस्ट में शामिल हो गए। कहा जाता है कि आईएस जौहर ने बीआर चोपड़ा और यश चौपड़ा की बॉलीवुड में काफी मदद की। जौहर की लिखी फिल्म ‘अफसाना’ से ही बीआर चोपड़ा मशहूर निर्देशक बने।
इस फिल्म के लिए मिला था बेस्ट कोमेडियन का अवार्ड
यश चोपड़ा शुरू में आईएस जौहर के असिस्टेंट रहे थे। उस समय जौहर ने कई फिल्मों में हास्य कलाकार की भूमिका निभाई थी। ‘जॉनी मेरा नाम’ के लिए उन्हें बेस्ट कॉमेडियन का अवार्ड भी मिला था। बॉलीवुड में उन्हें ऑल राउंडर पर्सनैलिटी कहा जाता था। उनकी ख़ासियत थी कि वह अभिनय के साथ पॉलिटिक्स में भी सक्रिय रहे। वहीं, हॉलीवुड में भी उनका जादू चला। उन्होंने ऑस्कर विजेता ‘लॉरेंस ऑफ ओरेविया’ जैसी कई फिल्मों में काम किया था।
इन नाम से बनी इन फिल्मों की लगा दी थी लाइन
जौहर ने अपने नाम से बनी फिल्मों की लाइन लगा दी थी। ‘जौहर महमूद इन गोवा’, ‘जौहर इन कश्मीर’, ‘जौहर इन बॉम्बे’, ‘मेरा नाम जौहर’, ‘जौहर महमूद इन हांग कांग’ जैसी फिल्मों से उन्होंने खूब लोकप्रियता बटोरी थी। इंदिरा गांधी के लगाए आपातकाल और नसबंदी योजना को लेकर उन्होंने एक कॉमेडी फिल्म ‘नसबंदी’ भी बनाई थी। निर्माता-निर्देश के तौर पर ये फिल्म उनकी आखिरी मूवी थी। हालांकि, एक्टिंग बाकी के सालों में वो अन्य फिल्मों में करते रहे थे। फिर 10 मार्च 1984 में मुंबई में उनका निधन हो गया।