क्यों यश जौहर की हर फिल्म में मंदिर का सीन दिखाया जाता है?, अंग्रेजी बोलकर मधुबाला को किया था इम्प्रेस
करण जौहर के पिता और धर्मा प्रोडक्शन के संस्थापक यश जौहर :
हिंदी सिनेमा में करण जौहर के पिता और धर्मा प्रोडक्शन के संस्थापक यश जौहर को बड़े बजट, भव्य सेट और विदेशों में गाने की शूटिंग करने के लिए जाना जाता था। उन्हें उभरते सितारों को निखारने वाले निर्देशक के रूप में जाना जाता था। स्क्रिप्ट राइटिंग से अपने करियर की शुरुआत करने वाले यश जौहर ने ‘मुझे जीने दो’, ‘गाइड’, ‘दोस्ताना’ और ‘कुछ कुछ होता है’ जैसी कई बेहतरीन फिल्में दी हैं। यश जौहर ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत वर्ष 1952 में सुलीन दत्त के प्रोडक्शन हाउस से की थी। यहां बतौर सहयोगी कुछ समय तक काम करने के बाद यश जौहर ने देवानंद की कई फिल्मों में प्रोडक्शन का काम संभाला।
फिल्म ‘दोस्ताना’ धर्मा प्रोडक्शन में बनने वाली पहली फिल्म
24 सालों तक दूसरों के प्रोडक्शन हाउस में काम करने के बाद आखिरकार साल 1976 में यश जौहर ने धर्मा प्रोडक्शन नाम से अपना प्रोडक्शन हाउस खोला। अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा की फिल्म ‘ दोस्ताना ‘ धर्मा प्रोडक्शन के बैनर तले बनने वाली पहली फिल्म थी। इसके बाद उन्होंने ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘अग्निपथ’ जैसे कई बेहतरीन फिल्में दी। हालांकि कुछ समय बाद ही यश जौहर को कैंसर हो गया और उन्होंने 74 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया।
मिठाई की दुकान पर बैठते थे पिता के साथ
बता दें कि करण जौहर के पिता यश जौहर का जन्म लाहौर में हुआ था। हालांकि बंटवारे के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया। यहां यश जौहर के पिता ने पैसे कमाने के लिए ‘नानकिंग स्वीट्स’ नामक मिठाई की दुकान खोली। 9 भाई-बहनों में सबसे अधिक पढ़े-लिखे होने की वजह से यश जौहर को दुकान के हिसाब किताब में अपने पिता का हाथ बटाना पड़ता था। हालांकि यह बात उनकी मां को बिल्कुल पसंद नहीं थी। उन्होंने ने एक दिन बोल ही दिया , ‘ तुम हलवाई की दुकान पर बैठने के लिए नहीं बने हो’। यश जौहर की मां ने उनका साथ दिया और कहा कि ‘तुम मुंबई चले जाओ’ । मां ने यश को मुंबई भेजने के लिए घर से गहने और पैसे गायब कर दिए।
किसी को फोटो नहीं देने वाली मधुबाला की फोटो ली
यश जौहर मुंबई पहुंचे तो शुरुआती दिनों में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। वो यहां टाइम्स ऑफ इंडिया न्यूज पेपर में फोटोग्राफर बनने की कोशिश कर रहे थे। उन दिनों निर्देशक के.आसिफ ‘मुगल-ए-आजम’ की शूटिंग कर रहे थे। मधुबाला के बारे में कहा जाता था कि वो किसी को अपनी तस्वीर खींचने नहीं देती थीं। यश जौहर उस दौर में भी अंग्रेजी बोल लेते थे। यश जौहर ने मधुबाला से अंग्रेजी में बात की और इससे इम्प्रेस होकर उन्होंने तस्वीर लेने की इजाजत दे दी। फिर जब यश जौहर फोटो खींचकर ऑफिस पहुंचे तो उन्हें नौकरी मिल गई। यश जौहर पूजा पाठ में काफी यकीन रखते थे। सुबह-सुबह नहाकर वो कुछ देर प्रार्थना करते थे। इसलिए उन्होंने घर में ही छोटा- सा मंदिर बना रखा था। उनकी आस्था को छाप उनकी फिल्मों में भी दिखाई देती है। ‘कुछ कुछ होता है’, ‘कभी खुशी कभी गम’ और ‘कल हो न हो’ जैसी फिल्मों में आपको मंदिर में फिल्माए गए सीन देखने को मिलेंगे।