क्यों ,अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते थे राजकुमार, सब इंस्पेक्टर की नौकरी से इस्तीफा दे बने एक्टर
बॉलीवुड में ‘जानी’ के नाम से मशहूर अभिनेता राजकुमार को उनके डायलॉग के लिए जाना जाता है । राजकुमार का जन्म 8 अक्तूबर 1926 को बलूचिस्तान में हुआ था। उस वक्त उनका नाम कुलभूषण पंडित था, जिसे उन्होंने बाद में बदलकर राजकुमार कर लिया। 1947 में देश का बंटवारा हुआ था, तो उनका पूरा परिवार भारत आकर मुंबई में बस गया था। मुंबई में आकर वह पुलिस की नौकरी करने लगे, जो उन्हें काफी पसंद थी। आज हम आपको राजकुमार के एक्टिंग, आवाज और बेबाक अंदाज के बारे में बताने जा रहे है –
ऐसे शुरू हुआ फिल्मी सफर-
एक दिन रात में गश्त के दौरान एक सिपाही ने राजकुमार से कहा कि हजूर आप रंग-ढंग और कद-काठी में किसी हीरो से कम नहीं है। फ़िल्मों में यदि आप हीरो बन जायें तो लाखों दिलों पर राज कर सकते हैं और राजकुमार को सिपाही की यह बात जंच गयी।
राजकुमार मुंबई के जिस थाने मे कार्यरत थे। वहां अक्सर फ़िल्म उद्योग से जुड़े लोगों का आना-जाना लगा रहता था। एक बार पुलिस स्टेशन में फ़िल्म निर्माता बलदेव दुबे कुछ जरूरी काम के लिये आये हुए थे। वह राजकुमार के बातचीत करने के अंदाज से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने राजकुमार से अपनी फ़िल्म ‘शाही बाजार’ में अभिनेता के रूप में काम करने की पेशकश की। राजकुमार सिपाही की बात सुनकर पहले ही अभिनेता बनने का मन बना चुके थे। इसलिए उन्होंने तुरंत ही अपनी सब इंस्पेक्टर की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और निर्माता की पेशकश स्वीकार कर ली।
राजकुमार अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते थे-
1952 मे प्रदर्शित फ़िल्म ,’रंगीली’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले राजकुमार अपनी बेहतरीन एक्टिंग, आवाज और बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते थे। वह पर्दे पर जितने बेबाक थे, उतने ही असल जिंदगी में मुंहफट भी थे। ऐसे में उन्हें इंडस्ट्री में कम ही लोग पसंद करते थे। आपको बता दे की एक बार एक पार्टी में संगीतकार बप्पी अक्खड़ राजकुमार से मिले। अपनी आदत के मुताबिक बप्पी ढेर सारे सोने से लदे हुए थे। बप्पी को राजकुमार ने ऊपर से नीचे देखा और फिर कहा वाह, शानदार। एक से एक गहने पहने हो, सिर्फ मंगलसूत्र की कमी रह गई है। बप्पी का मुंह खुला का खुला ही रह गया होगा।
डायलॉग से मिली ज्यादा पहचान-
राजकुमार का बोलने का अंदाज सभी को पसंद आता था । ऐसे में उनकी फिल्मों में कई डायलॉग ऐसे हैं, जिन्हें आज भी लोग पसंद करते हैं। फिल्म ‘वक्त’ का डायलॉग जिसमें उन्होंने कहा था, ‘चिनॉय सेठ, जिनके अपने घर शीशे के हों वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते’, को लोग आज भी पसंद हैं। राजकुमार को अपनी करियर में असल पहचान ‘मदर इंडिया’ फिल्म से मिली थी, जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आपको बता दे की राजकुमार की मोत गले का कैंसर होने के कारन हुई थी ।