‘कारगिल विजय दिवस’ पर जाने फिल्म ‘शेरशाह’ से जुड़े दिलचस्प किस्से

फिल्म ‘शेरशाह’ : 

आजाद हिंदुस्‍तान के इतिहास में कारगिल युद्ध अब तक की सबसे मुश्‍क‍िल लड़ाई थी। 17,000 फीट की ऊंचाई पर लड़े गए इस ऐतिहासिक युद्ध में देश ने बहुत कुछ खोया और बहुत कुछ दांव पर लगाया गया था। पाकिस्तान के सैनिकों ने कश्मीरी आतंकवादियों के वेश में एलओसी पर भारतीय हिस्से में घुसपैठ की थी। हमारे जाबांज सैनिकों ने जान की बाजी लगाई। उनके अतुलनीय साहस और पराक्रम के कारण ही करगिल की चोटी पर फिर से तिरंगा लहराया। इस युद्ध में देश ने अपने कई बहादुर बेटों को खोया। यह उनकी शहादत ही है, जिसकी वजह से देश का सिर आज गर्व और सम्‍मान से ऊंचा है।

ये है फिल्म की कहानी 

फिल्‍म का कैनवस विक्रम बत्रा के साथ-साथ बड़ा होता है। उन्‍हें ‘डिम्‍पल चीमा’ से प्‍यार होता है। फिर 13JAF राइफल्‍स में लेफ्ट‍िनेंट के पद पर पोस्‍ट‍िंग होती है। श‍िव पंडित फिल्‍म में कैप्‍टन संजीव जामवाल के किरदार में थे। एक ऐसा किरदार, जो बाहर से जितना कठोर दिखता है, अंदर से उतना ही कोमल है। निकेतन धीर मेजर अजय सिंह जसरोटिया के किरदार में अच्‍छे लगे हैं। कुछ ऐसा ही हाल शतफ फिगर का है। वह फिल्‍म में कर्नल योगेश कुमार जोशी के रोल में है और प्रभाव छोड़ते हैं। कुल मिलाकर ‘शेरशाह’ एक देशभक्‍त‍ि फिल्‍म है। युद्ध के कई सीन्‍स दिखाए गए हैं, लेकिन उन्‍हें और बड़े स्‍तर पर फिल्‍माया जा सकता था। करगिल युद्ध को लेकर देश ने जो कुछ भुगता है और साहस की जो गाथा, उसको लेकर आपको बतौर दर्शक एक कमी खलती है।

अपने देश ले लिए मर-मिटने की भावनाएं जगाती है फिल्म 

फिल्‍म की कहानी आपको बांधती है। वर्दी में वीर सैनिकों को दुश्‍मनों से लड़ते देखना, अपनी मिट्टी के लिए अंतिम सांस तक डटे रहना, यह सब एक दर्शक के तौर पर आप में भावनाएं जगाती है। ‘शेरशाह की सबसे बड़ी जीत यही है कि इसमें देश के हालिया इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक को फिर से रीक्रिएट करने की कोश‍िश की गई है। इसमें एक उत्साह भी है और ‘हाई जोश’ भी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *