ये थे बॉलीवुड के पहले 3 खान , जिन्होंने अपने वक्त में पूरी बॉलीवुड इंडस्ट्री को अपना दीवाना बना रखा था

बॉलीवुड में अगर हम खान की बात करें तो आपका सीधा ध्यान शाहरुख, सलमान और आमिर खान पर जाएगा। इसके अलावा सैफ अली खान को भी लोग इसमें शामिल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इनसे पहले भी तीन खान थे जिन्होंने अपने समय में इंडस्ट्री पर राज किया ? इतना ही नहीं दर्शकों के दिल और दिमाग में अपनी अमिट छवि भी छोड़ी। तो आज आपको इन्हीं से रुबरू करवाएंगे।

जिन तीन खान की हम बात कर रहे हैं आपमें से कई लोगों ने इनकी फिल्में भी देखी होंगी। ये कोई और नहीं बल्कि संजय खान, फिरोज खान और अकबर खान थे। इन्हें बॉलीवुड के पहले खान ब्रदर्स के तौर पर जाना जाता है। ये कुल मिलाकर सात भाई- बहन थे। इनमें फिरोज खान सबसे बड़े भाई थे, जिन्होंने 5 दशकों तक अपने अभिनय का लोहा मनवाया।

1.फिरोज खान

फिरोज का जन्म 25 सितंबर 1939 को बैंगलोर में हुआ था। अपने भाई-बहनों संजय खान, समीर खान, शाहरुख अली खान, अकबर खान, दिलशाद बीबी और खुर्शीद शहनावर में फिरोज सबसे बड़े थे। संजय का जन्म भी बैंगलोर में 3 जनवरी 1941 को हुआ था। अकबर खान 7 जुलाई 1949 में पैदा हुए थे। उनके पिता सादिक अली खान काफी सम्पन्न थे। पिता पठान थे जबकि मां ईरानी। मां फातिमा बेगम बच्चों को खूब लाड़ प्यार से पालती थीं। कुल मिलाकर सातों भाई-बहन के बचपन के दिन बड़े खुशगवार गुजरे। लेकिन एक दिन अचानक उनके पिता सादिक अली चल बसे।

घर का सबसे बड़ा बेटा होने की वजह से परिवार चलाने की सारी जिम्मेदारी फिरोज के कंधों पर आ पड़ी। वे पढ़ाई छोड़कर काम की तलाश में निकल पड़े। छोटे-मोेटे काम करने के बाद उन्होंने किसी की सलाह पर फिल्मों में किस्मत आजमाने की सोची। शुरुआत में बी ग्रेड फिल्मों के लिए भी हामी भरनी पड़ी। लेकिन वक्त के साथ उनकी किस्मत पलटी।

फिरोज खान ने वर्ष 1960 में फिल्म ‘दीदी’ से अपना सफर शुरू किया था। लगभग पांच दशक का फिल्मी सफर तय करते हुए फिरोज खान ने 2007 में आखिरी मूवी ‘वेलकम’ बनाई थी।

संजय खान

संजय खान जिनका असली नाम शाह अब्बास खान था को भी सिनेमा में जाने की चाहत जगी। सिर्फ 12 साल की उम्र में संजय ने राजकपूर की फिल्म ‘आवारा’ देखकर अभिनेता बनने का निश्चय कर लिया था। मगर भाई फिरोज नहीं मानें और पढ़ाई के लिए  बोला । शिक्षा पूरी करने के बाद जब वे मुंबई लौटे तो हॉलीवुड फिल्म निर्देशक जॉन गुलिअरमैन के सहायक के तौर पर काम करने का मौका मिला। गुलिअरमैन ‘टार्जन गोज टू इंडिया’ को डायरेक्ट कर रहे थे। उसी साल 1964 में चेतन आनंद ने भारत की युद्ध आधारित पहली फिल्म ‘हकीकत’ में कास्ट कर लिया था। इसके बाद जल्दी ही उन्हें राजश्री प्रोडक्शन की ‘दोस्ती’ के लिए साइन कर लिया गया जो सुपरहिट साबित हुई। इसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था।

60-70 के दशक में संजय खान काफी सक्रिय रहे थे। उन्होंने ’दस लाख’ और ‘एक फूल दो माली’ जैसी पारिवारिक ड्रामा फिल्में दीं । तो दूसरी तरफ ‘इंतकाम’ और ‘शर्त’ के जरिए लोगों का थ्रिल से परिचय करवाया। 1977 में उन्होंने ‘सोना-चांदी’ बनाई उसके बाद ‘अबदुल्ला’।  इसके बाद वह फिल्मों से दूर हो गए और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले टीवी धारावाहिकों की तरफ रुख किया। ‘द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ इनमें से एक है। इसके बाद उन्होंने ‘द ग्रेट मराठा, ‘जय हनुमान’ और ‘1857 क्रांति’ भी पर्दे पर उतार दिया।

3.अकबर खान

फिरोज और संजय के छोटे भाई अकबर खान ने भी सिनेमा के क्षेत्र में यादगार काम किया। उन्होंने अभिनेता, स्क्रीन राइटर, निर्माता और निर्देशक के तौर पर अपनी काम किया हैं अकबर खान बेहतरीन आवाज के धनी थे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत कुछ फिल्म निर्माताओं के सहायक निर्देशक के रूप में की थी। इसके बाद ‘अंजान राहें’ से अपना एक्टिंग डेब्यू किया था। यह मूवी 1974 में आई थी। जिसमें उनके बड़े भाई फिरोज ही मुख्य भूमिका में थे।

1988 में ‘आकर्षक’ फिल्म में अभिनय करने के बाद उन्होंने टीवी का रुख किया। अपने भाई संजय खान के टीवी सीरियल ‘द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ के पहले 20 एपिसोड का निर्देशन किया। टीवी धारावाहिक ‘अकबर द ग्रेट’ उन्होंने निर्देशक-निर्माता और अभिनेता की भूमिका निभाई। साल 2005 में अकबर ने ‘ताजमहल: एन इटरनल लव स्टोरी’ का निर्माण और निर्देशन किया। इसमें पाकिस्तानी दिग्गज अभिनेत्री और गायिका नूरजहां की पोती सोन्या जहां को भी फिल्म में लॉन्च किया। उन्होंने कबीर बेदी, जुल्फी सैयद, अरबाज खान और पूजा बत्रा को भी कास्ट किया था। यह उस समय भारत में बनी सबसे महंगी फिल्म थी, जिसका बजट 60 करोड़ रुपये था। तो ये थे बॉलीवुड के वो 3 खान , जिन्होंने अपने वक्त में बॉलीवुड पर राज़ करते थे ।

 

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