जलियांवाला बाग हत्या कांड का मार्मिक दर्शय दिखाती है फिल्म ‘सरदार उधम’, फिल्म बनी है शहीद उधम सिंह के जीवन पर

फिल्म ‘सरदार उधम’ : 

आज कल ज्यादातर फिल्में फूहड़ता और अश्लीलता को समेटे हुए हैं। ऐसे में सरदार उधम जैसी फिल्में मनोरंजन जगत में व्याप्त उपभोक्तावाद से आगे जाकर दर्शकों के बीच इतिहास के उजले पक्ष को पहुंचा रही हैं। यह फिल्म विचारोत्तेजक है। अक्सर होता यह है कि क्रांतिकारियों के जीवन पर बनने वाली फिल्मों में बहादुरी के पक्ष को तो खूब दिखाया जाता है लेकिन वैचारिक पहलू उभर कर दर्शकों के सामने नहीं आ पाते हैं। ‘सरदार उधम’ फिल्म में निर्देशक ने बखूबी उधम सिंह के वैचारिक पहलू को पर्दे पर उकेरा है। चाहे वो भगत सिंह से उधम सिंह का संपर्क हो या ब्रिटिश क्रांतिकारियों से या फिर गदर पार्टी से उधम सिंह का संपर्क। हर चीज बेहद सहज और शानदार तरीके से दिखाया गया है।

ये है फिल्म की कहानी 

हिंदू-मुस्लिम-सिख एकता के लिए उधम सिंह द्वारा अपना नाम ‘राम मोहम्मद सिंह आजाद’ बताना व अंग्रेजों द्वारा इस नाम पर चर्चा करना, इन सभी वैचारिक पहलुओं को यह फिल्म समेटती है। फ़िल्म को देखते समय स्वतः स्पष्ट होने लगता है कि उधम सिंह द्वारा माइकल ओ डायर की हत्या महज बदले की भावना से काम नहीं की गई बल्कि उनके काम के पीछे एक उच्च लक्ष्य और विचारधारा थी जो उन्हें भगत सिंह व एचएसआरए के संपर्क में आने से मिली थी।

विक्‍की कौशल ने किरदार को बखूबी निभाया

उधम सिंह का किरदार निभाने वाले विक्की कौशल ने इस किरदार से पूरा न्याय किया है। जलियांवाला बाग हत्या कांड को जिस मार्मिक तरह से उकेरा गया है उससे उसकी याद ताज़ी हो जाती है और फ़िल्म इस घटना पर जो संदेश देना चाहती है उसे लोगों तक पहुचने में सफल हो जाती है। 

 

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