दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला थी अभिनेत्री देविका रानी , इस तरह मूवी माफिया पर किया राज़

फर्स्ट लेडी ऑफ इंडियन सिनेमा अभिनेत्री देविका रानी : 

फर्स्ट लेडी ऑफ इंडियन सिनेमा कहलाने वाली अभिनेत्री देविका रानी ने उस दौर में अभिनय की दुनिया में कदम रखा, जब हमारे देश में औरतों का फिल्मों में काम करना वेश्यावृत्ति से भी गिरा हुआ माना जाता था। फिल्म इंडस्ट्री में आने के बाद देविका रानी ने समाज और रूढ़िवादी सोच के खिलाफ जंग लड़ी, अपनी काबिलियत साबित की और भारतीय सिनेमा की पहली महिला के रूप में स्वीकार की जाने वाली अभिनेत्री बनी। देविका रानी के लिए जितना मुश्किल फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश लेना था, उतना ही मुश्किल इस मनोरंजन जगत में अपनी पैर जमाए रखना भी था।

इंग्लैंड में की अपनी पढ़ाई

मद्रास प्रेसीडेंसी के पहले सर्जन के घर में जन्मीं देविका रानी की दादी सुकुमारी देवी, ठाकुर रविंद्रनाथ टैगोर की बहन थीं। पढ़े-लिखे परिवार से ताल्लुक रखने वालीं देविका को नौ साल की उम्र में ही इंग्लैंड के बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया था। इंग्लैंड में पली-बढ़ी देविका की मुलाकात एक भारतीय फिल्म-निर्माता हिमांशु राय से हुई। लंदन में फिल्म ‘द थ्रो ऑफ डाइस’ की शूटिंग कर रहे हिमांशु राय को देविका का काम काफी पसंद आया और उन्होंने देविका रानी को अपने प्रोडक्शन हाउस से जुड़ने का प्रस्ताव दे दिया। उस वक्त टेक्सटाइल डिजाइनिंग के फील्ड में काम कर रही देविका रानी ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और हिमांशु राय के प्रोडक्शन हाउस में बतौर कॉस्ट्यूम डिजाइनर और आर्ट डायरेक्टर काम करने लगीं।

पहली फिल्म ‘कर्मा’ में अपनी पति हिमांशु के साथ नज़र आई

साथ काम कर रहे हिमांशु राय और देविका रानी एक-दूसरे को दिल दे बैठे। मुलाकात के एक साल बाद ही दोनों ने शादी कर ली। हिमांशु राय ने कुछ लोगों के साथ मिलकर 1933 में अपनी पहली फिल्म ‘कर्मा’ रिलीज कर दी। बता दें कि इस फिल्म में पहली बार देविका रानी और हिमांशु मुख्य भूमिकाओं में थे। जिस इंडस्ट्री में लड़के ही लड़कियों के सीन फिल्माते थे, उस उद्याेश में देविका रानी ने चार मिनट का लंबा किसिंग सीन फिल्माया। फिल्म ‘कर्मा’ के रिलीज होने के बाद भारत में विवाद खड़ा हो गया। लेकिन फर्स्ट लेडी ऑफ इंडियन सिनेमा के कदम नहीं डगमगाए।

‘बॉम्बे टॉकीज़’ की शुरआत की पति के साथ मिलकर 

शादी के छह साल बाद (1934) में हिमांशु अपनी पत्नी देविका रानी के साथ भारत लौट आए। यहां हिमांशु राय ने कुछ लोगों के साथ मिलकर अपने प्रोडक्शन स्टूडियो, ‘बॉम्बे टॉकीज़’ की शुरुआत की। स्टूडियो ने अगले 5-6 वर्षों में कई सफल फिल्मों का निर्माण किया, और उनमें से कई में देविका रानी ने मुख्य भूमिका निभाई। 1940 में देविका रानी के पति हिमांशु राय की मृत्यु हो गई। देविका ने स्टूडियो पर नियंत्रण कर लिया और अपने दिवंगत पति के सहयोगियों शशधर मुखर्जी व अशोक कुमार के साथ साझेदारी में कुछ और फिल्मों का निर्माण किया।

अपने ही सहयोगियों ने दिया था धोखा 

हालांकि मूवी माफिया को यह कतई मंजूर नहीं था कि कोई अभिनेत्री उन्हें रूल करे। यही कारण था कि देविका रानी की देखरेख में बनी फिल्में फ्लॉप साबित होती थीं, वहीं साझेदारों की देखरेख में बनी फिल्में हिट हो जाती थीं। मूवी माफिया के खिलाफ आवाज उठाने और उनका असली रूप देखने के बाद 1945 में देविका रानी ने फिल्मों से संन्यास ले लिया। और रशियन पेंटर स्वेतोस्लाव रोरिच से शादी कर ली। हिंदी सिनेमा में देविका रानी के योगदान के लिए साल 1958 में अभिनेत्री को पद्मश्री सम्मान मिला। 1969 में देविका दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। कुछ समय बाद ही देविका के दूसरे पति रोरिच की भी मृत्यु हो गई और रोरिच की मौत के एक साल बाद 7 मार्च 1998 में देविका का भी निधन हो गया।

 

 

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