फिल्म ‘सौतन’ ने राजेश खन्ना और टीना मुनीम के जीवन को बदला ,’मेरी शादी का ख्याल दिल में आया है’ गाना सुपरहिट हुआ
गाना”मेरी शादी का ख्याल दिल में आया है”। फिल्म ” सौतन ” में राजेश खन्ना और टीना मुनीम की सुपरहिट जोड़ी ।
बात है 1983 की काका यानी राजेश खन्ना जी की है । उस समय उनकी फिल्मे लगातार फ्लॉप हो रही थी । लगातार 10 फिल्मे बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो चुकी थी। ऐसे में निर्माता निर्देशक ”सावन कुमार ने काका को फोन किया और मिलने का वक्त लिया,राजेश खन्ना तो ठहरे सुपर स्टार और यारों के यार कहा मेरी डायरी खाली है जितनी डेट लेनी है ले लो और बताओ फिल्म चलेगी या नहीं ,सावन कुमार को फिल्म की कहानी और म्यूजिक पर इतना भरोसा था की उन्होंने कहा ”चलेगी ही नहीं सुपर हिट होगी बस फिर किया था । राजेश खन्ना ने बिना कहानी सुने फिल्म साइन कर दी थी ”।
कौन भूल सकता है उस गाने को जो आज भी समय-समय पर जगह-जगह बजता रहता है ”शायद मेरी शादी का ख्याल दिल में आया है इसीलिए मम्मी ने मेरी तुम्हे चाय पर बुलाया है”, फिल्म के अंदर हीरोइन का रोल टीना मुनीम और पद्मिनी कोल्हापुरी ने किया था । ऐसा भी कहा जाता है कि इन रोल को पहले जीनत अमान एवं परवीन बाबी को दिया गया था । पर किसी कारणवश वह यह फिल्म में नहीं कर पाई। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर बहुत सुंदर प्रदर्शन किया। फिर एक बार राजेश खन्ना और टीना मुनीम की जोड़ी पर्दे पर छा गई जब सावन कुमार टाक ने” सौतन” नाम से फिल्म का निर्माण किया था। इस फिल्म की एडिटिंग डेविड धवन के द्वारा की गई थी।
फिल्म के दौर में ‘सौतन’ राजेश खन्ना के जीवन में उस समय आई जब उन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। । निर्देशक सावन कुमार टाक की फिल्म ‘सौतन’ रिलीज हुई 3 जून 1983 को और यही हमारी आज के बाइस्कोप की फिल्म है। इसी दिन अभिनेता से निर्देशक बने अमजद खान की शत्रुघ्न सिन्हा और परवीन बाबी स्टारर फिल्म ‘चोर पुलिस’ भी रिलीज हुई। अगर परवीन बाबी ‘सौतन’ न छोड़ती तो इस फिल्म की हीरोइन भी वह ही होतीं।
साल 1983 वो साल है जिसे हिंदी सिनेमा में फिल्म ‘कुली’ के लिए याद किया जाता है। अगर ये फिल्म बस महीने भर की देरी से रिलीज होती तो साल 1983 हमेशा के लिए राजेश खन्ना की सेकेंड इनिंग्स के बेहतरीन साल के लिए फिल्म इतिहास में दर्ज हो जाता। लेकिन, फिर भी राजेश खन्ना की फिल्मों ने उनके चाहने वालों का खूब मनोरंजन किया। इसी साल की शुरूआथ में फिल्म ‘अवतार’ ने लोगों को बताया कि संस्कार की गरिमा क्या होती है और कैसे परिवार की मुखिया अपनी बिगड़ी संतानों को राह दिखा सकता है।