बॉलीवुड करियर की स्टार्टिंग के 7 साल बाद इस फिल्म ने गोविंदा को बना दिया बॉलीवुड का ‘राजा बाबू’
डेब्यू के लगभग 7 साल बाद 1993 में रिलीज हुई फिल्म ‘राजा बाबू’ से गोविंदा की पहली सीढी थी। गोविंदा को सफलता तब मिली जब उन्होंने कॉमेडी का ट्रैक पकड़ा। 90 दशक के शुरुआती सालों में फिल्म इंडस्ट्री बिना किसी स्टार के चल रही थी। गोविंदा ने बिना हीरो वाली इंडस्ट्री के ,इस सूनेपन को तब तोड़ा जब वह कॉमेडी, डांस और रोमांस के ट्रैक पर आये।
1986 में फिल्मों में डेब्यू करने वाले गोविंदा ने बहुत फिल्में की लेकिन सक्सेस नहीं मिली। 1993 में रिलीज हुई एक कॉमेडी फिल्म ट्रैक पर ऐसे दौड़ी मानो गोविंदा तो निकल पड़ी। वो थी- ‘ राजा बाबू ‘
गोविंदा को निर्देशक के रूप में डेविड धवन जैसा सच्चा संगी मिला। फिर यहां से शुरु हुई परफेक्ट टाइमिंग वाली कॉमेडी का सिलसिला। गोविंदा को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे अच्छे डांसरों में भी शामिल किया जाता है। एक जैसे फॉर्मूलों और ट्रीटमेंट के साथ बन रहीं ढेर सारी फिल्मों के बीच गोविंदा और डेविड धवन की यह जुगलबंदी धीरे-धीरे इंडस्ट्री को रास आने लगी।
जिस तरह से खिलाड़ी सीरिज के साथ अक्षय कुमार जुड़े थे कुछ वैसी ही सीरिज गोविंदा ने नंबर 1 के साथ शुरू की। जैसे ‘कुली नंबर 1’, ‘हीरो नंबर 1’, ‘आंटी नंबर 1’, ‘अनाड़ी नंबर 1’, ‘जोड़ी नंबर 1’ फिल्मों ने कॉमेडी और गोविंदा दोनों को ही पहचान दी। इसी दौरान ‘साजन चले ससुराल’, ‘बनारसी बाबू’, ‘दूल्हे राजा’, ‘महाराजा’, ‘बड़े मियां छोटे मियां’, ‘हसीना मान जाएगी’, ‘जोरु का गुलाम’, ‘हद कर दी आपने’ जैसी फिल्में गोविंदा और इंडस्ट्री के लिए याद रखने वाली फिल्में बनीं। गोविंदा की सभी फिल्मों में हास्य लगभग एक जैसा होता था। फिल्म का कैनवास भी रिपीट सा लगता। कादर खान या तो उनके पिता बनते या ससुर होते थे ।
गोविंदा की दूसरी पारी 2006 से शुरू हुई। इस साल उनकी दो फिल्में ‘भागम भाग’ और ‘सलाम ए ईश्क’ हिट हुईं। गोविंदा की ऐक्टिंग दर्शकों को रास आई। गोविंदा अगले साल 2007 ‘पार्टनर’ फिल्म में दिखे। इसके बाद गोविंदा कभी सोलो हीरो तो कभी मल्टी स्टारर फिल्मों में नजर आने लगे। बावजूद इसके वह इंडस्ट्री से आउट हुए।