फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ के लिए ‘शहनाज’ थी पहली पसंद , जाने फिर ‘मधुबाला’ कैसे बनी ‘अनारकली’

हिंदी सिनेमा की आइकोनिक फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ 1944 :

60 के दशक में रिलीज हुई फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ हिंदी सिनेमा की आइकोनिक फिल्म मानी जाती है। इस फिल्म को बनाने में काफी पैसा और  वक्त लगा था। कहा जाता है कि इस फिल्म को बनाने के लिए निर्देशक करीमुद्दीन आसिफ ने पानी की तरह पैसा बहाया था। फिल्म के हर एक किरदार की पोशाकों से लेकर ज्वैलरी तक की खास डिजाइनिंग की गई थी। हालांकि, इसमें काम करने वाले सभी कलाकारों ने भी अपने अभिनय से लोगों के दिलों में अलग छाप छोड़ी।

फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ के लिए पहली पसंद नहीं थी अनारकली 

इस फिल्म से ‘दिलीप कुमार’ स्टार बन गए थे। वहीं अनारकली के किरदार में ‘मधुबाला’ और ‘अकबर’के किरदार में पृथ्वीराज कपूर आज भी क्लासिक माने जाते हैं। बता दें कि अनारकली के किरदार में मधुबाला निर्देशक के.आसिफ की पहली पसंद नहीं थीं। के.आसिफ अनारकली के लिए एक ऐसे खूबसूरत चेहरे की तलाश में थे, जिसे देखने के बाद सबकी निगाहें थम जाएं। कई अदाकाराओं ने इस किरदार को करने से मना कर दिया था, जिसके बाद मधुबाला ने यह रोल निभाया।

‘शहनाज’ थी अनारकली किरदार के लिए पहली पसंद 

शहनाज किसी फिल्मी परिवार से ताल्लुक़ नहीं रखती थीं, लेकिन थियेटर करने की वजह से उन्हें अनारकली का किरदार मिल रहा था। अगर किस्मत ने उनका साथ दिया होता तो आज मधुबाला की जगह वो नजर आतीं। शहनाज भोपाल के नवाब परिवार में जन्मीं और उनकी शादी एक राजनीतिक परिवार में हो गयी थी। कम उम्र में हुई उनकी शादी उन्हें मुंबई ले आयी। राजनीतिक परिवार में शादी होने की वजह से वह अक्सर हाई सोसाइटी के लोगों के बीच उठती बैठती थीं, लेकिन असल जिंदगी में वह पति की शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से परेशान थीं। इस बात का खुलासा उनकी बेटी सोफ़ी नाज़ ने अपनी किताब में किया है।

बताया जाता है कि फिल्म मुग़ल-ए-आज़म में अनारकली के किरदार के लिए शहनाज को चुना गया था। वह थियेटर किया करती थीं, उस वक्त के.आसिफ उनका प्ले देखने आए थे। उन्हें देखते ही के.आसिफ को लगा कि उनकी अनारकली उन्हें मिल गई है। कहा जाता है शहनाज ना सिर्फ खूबसूरत थीं, बल्कि उनकी आवाज भी काफी सुरीली थी और उर्दू पर जबरदस्त कमांड थी।

भोपाली जोड़ा और  जेवर पहनकर दिया ऑडिशन

के.आसिफ शहनाज का ऑडिशन लेने के लिए अपनी मां को साथ लेकर गए थे। उनकी मां के पास भोपाली जोड़ा और जेवर थे, जिसे पहनकर शहनाज ने ऑडिशन दिया। ऑडिशन देने के बाद स्क्रीन टेस्ट के दौरान शहनाज की करीबन 200 तस्वीरें खींची गईं। हालांकि जब इस का पता शहनाज के परिवार वालों को चला तो वह यह बर्दाश्त नहीं कर पाए। दरअसल शहनाज शाही परिवार से थीं, और उनके परिवार में आज तक किसी ने ऐसा नहीं किया था। उनकी तस्वीरों को शहनाज के भाई ने ना सिर्फ फाड़ दिया बल्कि के.आसिफ को भी घर से निकाल दिया।

मधुबाला को ऐसे मिला अनारकली का किरदार

के.आसिफ ने फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ के लिए प्लानिंग साल 1944 में शुरू की थी। हालांकि, जब उन्होंने इस फिल्म को बनाने की प्लानिंग शुरू की तो देश का बंटवारा हो गया। इस बीच कई तरह की परेशानियां आईं, जिसकी वजह से फिल्म का काम रूक गया, लेकिन के.आसिफ ने अनारकली के लिए अदाकारा की तलाश जारी रखी थी। वहीं शहनाज के मना किए जाने के बाद इस किरदार के लिए नरगिस को अप्रोच किया गया था, लेकिन जब दोबारा फिल्म की शूटिंग शुरू हुई तो उन्होंने मना कर दिया। इसके बाद अनारकली का किरदार नूतन को दिया गया।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस फिल्म को लेकर नूतन से सारी बातचीत हो गई थी, लेकिन अचानक उन्होंने मना कर दिया। लाख समझाने के बाद भी वह तैयार नहीं हुईं। नूतन ने उन्हें सलाह दी कि इस किरदार के लिए मधुबाला बेहतर हैं। हालांकि, मधुबाला के पिता से के.आसिफ के संबध कुछ खास नहीं थे, ऐसे में वह समझ नहीं पा रहे थे कि उन्हें क्या करना चाहिए। अपने एक इंटरव्यू में के.आसिफ ने बताया कि एक बार मधुबाला खुद मिलने आईं और उन्होंने कहा कि वह फिल्म में काम करना चाहती हैं, ऐसे में वह पिता की शर्तों को मान लें। मधुबाला ने कहा कि फिल्म में काम तो मुझे करना है, ऐसे में यह शर्तें उन पर लागू नहीं होंगी। तब जाकर मधुबाला को अनारकली का किरदार मिला।

 

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