कभी फिल्म ‘जय संतोषी मां’ में लोगो ने दिखाई थी अपार श्रद्धा, लेकिन अभिनेत्री का हुआ ऐसा दुखद अंत
फिल्म ‘जय संतोषी मां’ ने कमाए दो सौ गुना ज्यादा :
बॉक्स ऑफिस पर फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ से पहले अगर किसी फिल्म ने अपनी लागत की दो सौ गुना ज्यादा कमाई की है तो वह फिल्म ‘जय संतोषी मां’ है। यह फिल्म 30 मई 1975 को रिलीज हुई थी।इस फिल्म को बनाने के लिए इसके निर्माता के पास पैसे भी पूरे नहीं थे। उस समय के चर्चित फिल्म ‘वितरक केदारनाथ अग्रवाल’ जुड़े और उन्होंने तब तक शूट हुई फिल्म को 11 लाख रुपये एडवांस देकर खरीद लिया था। फिल्म कुल 12 लाख में बनी और इसने बॉक्स ऑफिस पर कमाए करीब 25 करोड़ रुपये।
इस फिल्म को लेकर लोगो की रही यह आस्था
यह हिंदी सिनेमा के इतिहास की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर रही। जिस फिल्म के निर्माता ‘सतराम रोहरा ‘ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया था, वहीं इस फिल्म ने सिनेमाघरों में धूम मचा रखी थी।गांवों से आने वाले लोग चप्पल उतार कर और फूल माला लेकर सिनेमाघरों में प्रवेश करते। दूसरे सीन में जब संतोषी मां की आरती होती तो लोग अपनी- अपनी आरती जलाकर आरती करना शुरू कर देते। फिल्म खत्म होने के बाद बाकायदा सिनेमाघरों के बाहर प्रसाद बंटता।
हीरोइन का इस गंभीर बीमारी के कारन हुआ था निधन
फिल्म ‘जय संतोषी मां’ के सामाजिक-आर्थिक असर पर बाकायदा लोगों ने विचार दिए है। फिल्म के कलाकार और इसे बनाने वालों ने बहुत दुख देखे। संतोषी माँ का रोल निभाने वाली अनीता गुहा को सफेद दाग की गंभीर बीमारी के चलते उनका अपने घर से बाहर आना कम हो गया। पति माणिक दत्त का असामयिक निधन हो गया और 2007 में उन्होंने दुनिया छोड़ दी।
इस फिल्म की कहानी पर बने कई नाटक और फिल्म
फिल्म निर्माता सतराम रोहरा दिवालिया होने के बाद बहुत मुसीबत में रहे। फिल्म के वितरक केदारनाथ अग्रवाल के पास भी फिल्म की कमाई की रकम नहीं पहुंची। उनके भाइयों पर आरोप लगा कि वे सारी रकम बीच में ही ले उड़े। फिल्म के हीरो आशीष कुमार और फिल्म वितरक केदारनाथ अग्रवाल के भागीदार संदीप सेठी के बीच फिल्म की कमाई को लेकर लंबा विवाद चला। आशीष ने फिल्म की कहानी पर कई नाटक और फिल्म बनाई जैसे , ‘कथा संतोषी मां’, ‘सोलह शुक्रवार’, ‘जय संतोषी मां’ सभी एक के बाद एक फ्लॉप रही।
यह थी संतोषी माँ के जन्म की कहानी
फिल्म ‘जय संतोषी मां’ में संतोषी मां का रोल करने वाली अनीता गुहा रातों रात स्टार बन गईं थी। इससे पहले उन्होंने तीन फिल्मों में सीता मैया का रोल निभाया था। फिल्म ‘जय संतोषी मां’ की कहानी बहुत अच्छी थी। जिसमे गांव के गरीब के संतोष की कहानी को दिखाया गया है।इस कहानी में गरीब इसी बात में खुश हो जाता कि कोई ऐसी भी देवी हैं जो सिर्फ गुड़ चने का प्रसाद पाकर ही खुश हो जाती हैं। इस कहानी की शुरुआत रक्षाबंधन के त्योहार से होती है।जहां भगवान गणेश के दोनों बेटे एक बहन की जिद करते दिखाई देते है। भगवान गणेश और उनकी पत्नियों ऋद्धि व सिद्धि की इस संतान का नाम नारद रखते हैं, संतोषी।
उषा मंगेशकर की आवाज बनी सोने पर सुहागा
इस फिल्म को सबसे ज्यादा मदद मिली अपने संगीत से। कवि प्रदीप के लिखे गीतों को मौलिक और लोकगीतों के अनुरूप धुन देने वाले संगीतकार सी अर्जुन रहे। खुद कवि प्रदीप ने फिल्म में दो गाने गाए। मन्ना डे और महेंद्र कपूर की आवाजें फिल्म के किरदारों पर बिल्कुल फिट बैठीं और सोने पर सुहागा बनी उषा मंगेशकर की आवाज। फिल्म के गानों के लिए उषा मंगेशकर को फिल्मफेयर बेस्ट प्लेबैक सिंगर फीमेल का नॉमीनेशन भी मिला।