एक खूबसूरत अदाकार जिन्होंने 10 साल की उम्र में फिल्मों में किया डेब्यू , जो है सलमान खान की फेवरेट और बॉलीवुड की ‘जुबली गर्ल’

एक खूबसूरत अदाकार, जिन्होंने 10 साल की उम्र में ही फिल्मों में डेब्यू किया. 60-70 दशक में ऐसी कई हीरोइनें रहीं, जिन्होंने बॉलीवुड में राज किया, लेकिन, एक एक्ट्रेस ऐसी थीं, जिन्होंने धर्मेंद्र, राजेश खन्ना, शम्मी कपूर और शशि कपूर जैसे कई महान कलाकारों के साथ काम किया। अपनी एक्टिंग के साथ अपने डांस से उन्होंने लोगों का दिल जीता। इस तस्वीर को देखने के बाद क्या आप अंदाजा लगा पाए कि आखिर यह किस एक्ट्रेस के बचपन की तस्वीर है?

Asha Parekh 6
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आपको बता दे की सिने प्रेमी अपने पंसदीदा स्टार्स की तस्वीरों को देखना पसंद करते हैं और खासकर उनके अनदेखी तस्वीरों को। आज एक ऐसी ही एक्ट्रेस के बचपन की तस्वीर लेकर आए हैं, जो अपने जमाने में सबसे पॉपुलर और ज्यादा कमाई करने वालीं हीरोइनों में शुमार रहीं। अब तक आप कुछ समझ पाए या नहीं। बता दे की सलमान खान की ये फेवरेट हैं और बॉलीवुड में उन्हें ‘जुबली गर्ल’ भी कहा जाता है।

आशा पारेख
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 यह तस्वीर है अपने दौर की हसीन एक्ट्रेसेस में से एक आशा पारेख की। जिन्होंने मात्र 10 साल की उम्र से फिल्म में डेब्यू किया था। 1952 में आई फिल्म ‘मां’ में उन्होंने काम किया। इसके बाद आशा ने कुछ और फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में काम किया था आशा पारेख का नाम ‘जुबली गर्ल’ कैसे हुआ? तो इसके पीछे की वजह भी बहुत खास है।
बता दे की  दरअसल, उनकी ऐसी कई फिल्में ऐसी रहीं, जिन्होंने सिल्वर जुबली मनाई. इसलिए उन्हें ‘जुबली गर्ल’ का नाम दिया गया। एक्टर राजेंद्र कुमार तो उन्हें बहुत लकी मानते थे और उन्हें ‘भाग्यलक्ष्मी’ बुलाते थे।
आशा पारेख
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बता दे की आशा पारेख ने बचपन में कुछ फिल्में की और उसके बाद पढ़ाई पूरी करने के लिए ब्रेक ले लिया। हालांकि, 16 की उम्र में उन्होंने फिर से कमबैक किया. क्या आप जानते हैं कि जिस एक्ट्रेस ने बचपन में ही अपनी एक्टिंग का लोहा बनवा दिया था, उसको फिल्म में वापसी के दौरान कितने रिजेक्शन झेले। डायरेक्टर विजय भट्ट ने तो उन्हें यह कहकर अपनी फिल्म से रिजेक्ट कर दिया कि वह स्टार बनने लायक हैं ही नहीं, लेकिन नासिर हुसैन की ‘दिल देके देखो’ ने आशा पारेख को रातोंरात स्टार बना दिया।
आशा पारेख
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आपको बता दे की आशा पारेख 5 भाषाओं की जानकारी है। वह मूल रूप से गुजराती हैं। गुजराती के साथ-साथ उन्हें हिंदी, इंग्लिश, पंजाबी और कन्नड़ का ज्ञान है, जिसको वो आसानी से बोल भी लेती हैं।

आशा पारेख को हिंदी सिनेमा में योगदान के लिए 1992 में पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है। इसके साथ दादासाहेब अवॉर्ड, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने लिविंग लीजेंड अवॉर्ड से सम्‍मानित किया था। वह भारत के केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) की पहली महिला अध्यक्ष भी रही हैं।

आशा पारेख
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बता दे की वह अब फिल्‍मों से दूर हैं। फिल्मों से दूर होने के बाद वह अब मुंबई में अपनी खुद की एक डांस एकेडमी चलाती हैं। इसके अलावा वह सांता क्रूज इलाके में आशा पारेख अस्पताल का भी काम देखती हैं।

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