संजीव कुमार के वो 5 सबसे बेहतरीन किरदार , जिन्होंने उन्हें बना दिया बॉलीवुड का सुपरस्टार
बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता संजीव कुमार :
“गब्बर से कह देना कि रामगढ़वालों ने पागल कुत्तों के सामने रोटी डालना बंद कर दिया है…!” ऐसे ही कुछ दमदार और यादगार डायलॉग्स से दर्शकों का दिल और खूब तालियां और सीटियां बटोरने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता संजीव कुमार। हरिहर जेठालाल जरीवाला नाम से पैदा हुए संजीव कुमार ने अपने पूरे फिल्मी सफर में दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। उन्होंने हिंदी सिनेमा को ”अर्जुन पंडित, शोले, आंधी, त्रिशूल, दस्तक जैसी और भी कई फिल्मों के रूप में नायाब तोहफे दिए। रोमांस हो, ड्रामा हो या कॉमेडी हो, कुमार अपने आप को किरदार में ढालना बखूबी जानते थे। अपने बाकमाल अभिनय के दम पर उन्होंने दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और तीन फिल्मफेयर अवॉर्ड जीते।
1.इंस्पेक्टर राय, शिकार(1968)
वर्ष 1968 में आई फिल्म ‘शिकार’ एक मर्डर मिस्ट्री थी। इस फिल्म को आत्मा राम ने निर्मित और निर्देशित किया है, जो मशहूर अभिनेता, निर्माता और निर्देशक गुरुदत्त के छोटे भाई थे। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट साबित हुई। कहानी में नरेश माथुर नाम का एक व्यक्ति एक लड़की के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करता है। उसी छीना झपटी में नरेश की मौत हो जाती है। लड़की इस घटना के बाद पुलिस के डर से वहां से फरार हो जाती है। फिल्म में संजीव कुमार का किरदार इंस्पेक्टर राय का है, जो इस हत्या की छानबीन करते हैं और असली गुनहगार को पकड़ते हैं।
2.हामिद, दस्तक(1970)
1970 में आई फिल्म ‘दस्तक’ एक ड्रामा फिल्म है। यह फिल्म राजिंदर सिंह बेदी के निर्देशन में बनी पहली फिल्म थी। फिल्म में संजीव कुमार के किरदार का नाम हामिद है। उसने सलमा (रेहाना सुल्तान) से नई-नई शादी की है और एक भाड़े के फ्लैट में रहने के लिए आते हैं। इसी फ्लैट में इनसे पहले शमशाद बेगम नाम की एक मशहूर मुजरे वाली रहा करती थी। उसी की याद में लोग हर रोज हामिद के दरवाजे पर दस्तक देते थे। इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया। फिल्म में संजीव कुमार, रेहाना सुल्तान और अंजू महेंद्रू मुख्य भूमिका में हैं।
3.विजयकमल एस. सिंह, खिलौना(1970)
साल 1970 में आई फिल्म ‘खिलौना’ एक ड्रामा फिल्म है। इसके निर्माता एल. वी. प्रसाद और निर्देशक चंदर वोहरा हैं। बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही । कहानी में दिमागी तौर पर बीमार एक व्यक्ति विजयकमल है। उसके पिता ठाकुर सूरज सिंह एक तवायफ चांद(मुमताज) को अपने बेटे की पत्नी बनाकर उसे स्वस्थ बनाने का काम सौंपते हैं । इस फिल्म में एक पागल का बेहतरीन किरदार निभाने के लिए संजीव कुमार को फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर के लिए नामित किया गया था।
4.हरिचरण माथुर, कोशिश(1972)
साल 1972 में आई फिल्म ‘कोशिश’ एक ड्रामा फिल्म है, जिसे गुलजार ने निर्देशित किया है। यह फिल्म एक गूंगे और बहरे जोड़े के इस असंवेदनशील समाज में खुद की जगह बनाने के टकराव, दर्द और संघर्ष को बयां करती है। फिल्म में हरिचरण और आरती माथुर का किरदार क्रमशः संजीव कुमार और जया भादुड़ी ने निभाया है। इस फिल्म में शानदार किरदार के लिए संजीव कुमार का नाम फिल्मफेयर के लिए नामित किया गया था।
5.जे. के., आंधी(1975)
1975 में आई फिल्म ‘आंधी’ एक पोलिटिकल ड्रामा फिल्म है। इसके निर्देशक गुलजार हैं। फिल्म की कहानी में एक होटल का मैनेजर और एक राजनीतिज्ञ की बेटी एक-दूसरे से प्यार करने लगते हैं और शादी कर लेते हैं। कुछ कारणों से वह फिर अलग हो जाते हैं। कुछ सालों बाद वे फिर मिलते हैं और अपने रिश्ते को एक और मौका देने का फैसला करते हैं। फिल्म में जे.के. के किरदार के रूप में संजीव कुमार ने बेहतरीन अभिनय का प्रदर्शन किया। इसके लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड से अलंकृत किया गया।