डागा साब मैँ आज भी फेके हुए पैसे नहीं उठता , तुम लोग मुझे ढूँढ रहे हो और मैं

फिल्म ‘दीवार’  1975 में रिलीज हुई- ‘दीवार’ यश चोपड़ा निर्मित दीवार हिन्दी सिनेमा की सबसे सफ़लतम फिल्मों में से है, इस फिल्म ने अमिताभ के करियर को नयी बुलंदियों पर पहुँचा दिया।

फिल्म ‘दीवार’ अपने समय के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक भारत का भी प्रतिबिंब है। यह अपने पति के लापता हो जाने के बाद भी मांग मैँ सिन्दूर भरने वाली व  ईश्वर को मानने वाली एक महिला की कहानी है, जिसका बेटा नास्तिक है। धन कमाने के फेर में उसने वह हर कार्य किया जो कानून के मुताबिक गलत था पर यहाँ तक की उस ज़माने में लिवइन रिलेशन में भी रहता था ।

हा पर अपनी माँ से विशेष प्रेम करता था भाई के ऊपर अपनी जान छिड़कता था उसको पढाने और बड़ा करने के खातिर बहुत मेहनत करता है , ओर बन जाता है पुलिस अफसर

वह पुरजोर कोशिस करता है की भाई मान जाए ओर अपने आप को कानून के हवाले कर दे पर विजय कहा मानने वाला था, माँ भी कश्मकश में रहती है कियोकि उसने विजय का संघर्ष देखा था परतु वह साथ देती है सत्य का ओर कहती है अपने बेटे से जा अपना फ़र्ज़ निभा साथ ही उसको उसका  हथ्यार भी देती है तत्पश्चात मंदिर भी जाती है अपने बड़े बेटे की रक्षा के लिए |

फिल्म को गुलशन जी बना रहे थे -अमिताभ बच्चन उस समय दिन में शोले की शूटिंग करते और रात को ‘दीवार’ की। ‘शोले’ की शूटिंग खत्म हुई तो फिल्म ‘दीवार’  और फिल्म ‘कभी कभी’ की शूटिंग साथ साथ चलने लगी। फिल्म के निर्देशक यश चोपड़ा को डर लगा रहता कि कहीं एंग्री यंग मैन और कवि के किरदारों में अमिताभ फ़स न जाये परतु सलीम जावेद की जोड़ी ने बहुत ही कमाल स्क्रीनप्ले लिखा किसी भी कलाकर को कोई परेशांनी नहीं  हुई , अमिताभ के साथ शशि कपूर, नीतूसिंह , परवीन बॉबी, निरुपा राय जैसे अन्य कलाकार थे ।

फिल्म के अंदर एक से एक डायलाग थे – डागा साब मैँ आज भी फेके हुए पैसे नहीं उठता, आज मेरे पास बिल्डिंग है बैंक बैलेंस है नौकर चाकर है गाडी है बांग्ला है किआ है तुम्हारे पास -, मेरे पास माँ है , भाई तुम sign करते हो की नहीं , धंधा करना तो  आपको नहीं आता मिस्टर  अग्रवाल , भगवान् आज तो खुश  बहोत होगे आज ,,,

कह दू तुम्हे या चुप रहु दिल मे मेरे आज किआ है, गाना भी खूब चला ,

आगे फिल्म में मां है, मंदिर है, भाई है, पुल है और है बिल्ला नंबर 786 जो विजय को रहीम चाचा देते हैं। उस समय के सामाजिक तानेबाने का ये सबसे बड़ा जीता जागता सबूत है। सलीम-जावेद पर तोहमत कोई कितनी भी लगाए, लेकिन सच ये भी है कि उनके सिनेमा ने भारत के इस धर्मनिरपेक्ष तानेबाने को मजबूत करने में बहुत योगदान किया है।

फिल्म ‘दीवार’ के विजय वर्मा ने अमिताभ बच्चन की एंग्री यंगमैन इमेज पर पक्की मोहर लगा दी। पूरे देश में एक अलग तरह के पोस्टर ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा। पीले रंग में पुते शशि कपूर और निरूपा रॉय के चेहरों के साइड में एक लंबा सा फोटो अमिताभ बच्चन का। शर्ट का रंग सुर्ख लाल और कमीज के दोनों हिस्सों की अमिताभ ने कमर पर गांठ लगाई हुई है। ये भी बस संयोग ही था। उस दिन अमिताभ को जो शर्ट मिली वो काफी लंबी थी। अमिताभ ने यूं ही उसमें गांठ लगा दी और फिल्म रिलीज हुई तो ये उस समय के युवाओं का फैशन हो गया।

इस फिल्म को  7  Filmfare दिए गए जिसके अंतर्गत साल की सर्वश्रेठ फ़िल्म का पुरुस्कार भी इसी फ़िल्म को मिला ।।

 

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *