जब दादा साहेब की पहली फिल्म के लिए उनका बजट था महज 15 हजार रुपये , फिर कैसे उनकी इसी फिल्म ने रच दिया इतिहास
साल 1969 में बॉलीवुड में दादा साहेब फाल्के के सम्मान में एक अवॉर्ड शुरू किया गया। एक्ट्रेस देविका रानी को पहली बार इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
आपको बता दे की दादा साहेब फाल्के सिनेमा के लिए एक मिसाल हैं। अपने फिल्मों के जुनून को लेकर दादा साहेब इतने सीरियस थे कि अपनी पहली फिल्म को बनाने के लिए वे रेड लाइट एरिया में भी हीरोइन ढूंढने पहुंच गए थे। इसके पीछे की भी एक बड़ी वजह थी।
दादा साहेब फाल्के के पास महज 15 हजार रुपये का बजट था और उन्हें अपनी पहली फिल्म बनानी थी। इसके बाद दादा साहेब फाल्के लंबे समय तक हीरोइन की तलाश करते रहे. जब उन्हें फिल्म के लिए हीरोइन नहीं मिली क्योंकि कोई भी इतने कम पैसों में काम करने को तैयार नहीं था। इसके बाद दादा साहेब ने हार नहीं मानी और अपनी हीरोइन की तलाश में रेड लाइट एरिया में भी हीरोइन ढूंढने पहुंच गए। हालांकि दादा साहेब को भी यहां अपनी हीरोइन नहीं मिली।
बता दे की इसके बाद दादा साहेब निराश होकर एक होटल में चाय पीने पहुंचे। यहां चाय पीते समय दादा साहेब की नजर एक लड़की पर पड़ी और उसी को दादा साहेब ने अपनी हीरोइन बनाया। 30 अप्रैल 1870 को महाराष्ट्री के नासिक में जन्मे दादा साहेब ने पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ बनाई थी। ये फिल्म भारतीय सिनेमा में इतिहास रच गई. दादा साहेब फाल्के फिल्मों के इतने शौकीन थे कि रोजाना 4-5 घंटे तक फिल्में देखा करते थे।
फिल्म बनाने वाले दादा साहेब पूरी फिल्म में ड्रेस डिजाइन से लेकर सारी चीजों को खुद ही संभालते थे। इसके सात ही बेहतरीन कहानी भी दर्शकों के लिए तैयार करते थे। दादा साहेब की पहली फिल्म का बजट महज 15 हजार रुपये थे। इस फिल्म से दादा साहेब ने इतिहास रच दिया।
आपको बता दे की दादा साहेब को आज उनके फिल्मी योगदान के लिए याद किया जाता है। 1969 में बॉलीवुड कलाकारों ने दादा साहेब को याद करने के लिए उनके नाम पर अवॉर्ड रक दिया। ये अवॉर्ड आज भी काफी प्रस्टीजियस माना जाता है। दादा साहेब फाल्के को उनकी बर्थएनिवर्सरी पर बॉलीवुड सितारों ने याद किया है।