जाने बॉलीवुड की दुनिया में छोटे-मोटे रोल करने वाले राजेंद्र कुमार कैसे बने जुबली कुमार , देखे इसके पीछे छुपी दिलचस्प कहानी

60-70 के दशक में राजेंद्र कुमार बॉलीवुड के सफल एक्टर्स में से एक माने जाते हैं। दिलीप कुमार और नरगिस के साथ 1950 में फिल्म ‘जोगन’ से फिल्मी सफर की शुरुआत की थी। इसके बाद ‘मदर इंडिया’ में नरगिस के बेटे की भूमिका निभा राजेंद्र कुमार छा गए थे। राजेंद्र कुमार ने ‘धूल का फूल’, ‘दिल का एक मंदिर’, ‘मेरे महबूब’, ‘संगम’ जैसी तमाम हिट फिल्में हिंदी सिनेमा में दर्ज करवाईं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि राजेंद्र कुमार को शुरू में हीरो मैटेरियल माना ही नहीं गया था।

Rajendra Kumar Death & Last Days: actor rajendra kumar death anniversary despite being a jubilee kumar never got any award in life this is how he spent last days- कहानी सुपरस्‍टार राजेंद्र

आपको बता दे पाकिस्तान के सियालकोट में एक बिजनेस फैमिली पैदा हुए राजेंद्र को बचपन से ही फिल्मों से प्यार था, लेकिन उन्हें अपने बिजनेस में ही जाना था, इसलिए ऐसा सोच ही नहीं सकते थे। सन 1947 में राजेंद्र कॉलेज के दूसरे साल में पढ़ रहे थे, लेकिन आजादी के बाद भारत-पाक बंटवारे के दौरान हालात ऐसे बने कि अपना पुश्तैनी घर छोड़कर भारत आना पड़ा।  दिल्ली आने के बाद सब्जी मंडी इलाके में रहना पड़ा, लेकिन कुमार वहां रह नहीं पाए और अपने सपने को पूरा करने के लिए मुंबई  आ गए ।

राजेंद्र कुमार:दोस्त की सलाह ने बना दिया 'जुबली कुमार', वरना घूम रहे होते अपराधियों के पीछे - Rajendra Kumar Birthday: Jubilee Kumar Left Job Of Police Moved To Bombay Know Here ...

मुंबई आ तो गए लेकिन राजेंद्र कुमार को मुश्किल भरे देखने पड़े। फुटपाथ पर सोए, गुजारे के लिए जो काम मिला कर लिया। काफी समय बाद फिल्ममेकर हरनाम सिंह रवैल के साथ बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम करने लगे। हरनाम ने उन्हें फिल्म ‘पतंगा’ में कैमियो ऑफर दिया लेकिन हो नहीं पाया। साल 1950 में फिल्ममेकर चंदूलाल शाह ने दिलीप कुमार-नरगिस स्टारर फिल्म ‘जोगन’ में सपोर्टिंग एक्टर की भूमिका दी।

Rajendra Kumar Used To Call Sadhana As Papa Actress Broke Her Own Rules For The Actor Read Full Story | Sadhana को 'पापा' कहकर बुलाते थे Rajendra Kumar, एक्टर के कहने पर

आपको बता दे की राजेंद्र कुमार भले ही असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम कर रहे थे लेकिन उनकी दिली तमन्ना एक्टर बनने की थी।  राजेंद्र कुमार पर लिखी किताब ‘जुबली कुमार: द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ ए सुपरस्टार’  रवैल ने राजेंद्र कुमार से कहा था कि ‘तुम्हे ब्रेक मिल गया लेकिन एक्टिंग तुम्हारे लिए नहीं है…अपने काम पर ध्यान दो’, लेकिन राजेंद्र तो हर हाल में एक्टर ही बनना चाहते थे और बिना किसी की बात सुने अपने धुन में लगे रहे, छोटे-मोटे रोल करते रहे।

Rajendra Kumar Biography | Jublee Kumar की पूरी और अनसुनी कहानी जानिए

आखिरकार साल 1955 में आई फिल्म फिल्म ‘वचन’ की बंपर सफलता ने राजेंद्र कुमार को स्टार बना दिया। इस फिल्म में कुमार ने लीड रोल प्ले किया था। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा, ‘गूंज उठी शहनाई’, ‘आरजू’ में अलग-अलग तरह के किरदार निभाए। साधना के साथ ‘मेरे महबूब’ से छा गए, ये पहली जुबली फिल्म थी।

राजेंद्र कुमार ने अपने मन का काम करने के लिए कलाई से उतार बेच दी थी अपनी घड़ी

बता दे की मजे की बात है कि ये फिल्म उन्हीं हरनाम सिंह रवैल की थी, जिसने कभी सोचा नहीं था कि बतौर एक्टर राजेंद्र कुमार कभी सफल होंगे। एक के बाद राजेंद्र कुमार ने 6 सुपरहिट फिलमें दी। कहते हैं कि उनकी 6 फिल्में 25 हफ्ते से अधिक सिनेमाघरों में लगी रहीं। इसी सफलता के चलते राजेंद्र कुमार को लोग जुबली कुमार कहने लगे। राजेंद्र जिस फिल्म में होते, उसे हिट होने की गारंटी मान लिया जाता था।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *