क्या आप जानते है, बॉलीवुड का वो कौनसा खलनायक है, जो अपने घर से मात्र 26 रूपये लेकर भागा था
दोस्तों ,बॉलीवुड में काम करना तो हर किसी का सपना होता है । बॉलीवुड की दुनिया में कई ऐसे कलाकार हुए है जो बिल्कुल जमीन से उठ कर स्टार बन गए हैं। आज हम एक ऐसे अभिनेता की बात करेंगे , जो अपने घर से मात्र 26 लेकर भागे थे , फिर फ़िल्मी दुनिया में अपने आपको आजमाया , और बन गए फिल्मो में खलनायक । जी हां , हम पुरानी फिल्मो के खलनायक जीवन की बात कर रहे है , जिन्होंने ‘जमाना’, ‘जिंदगी’, ‘वक्त’ और ‘धर्म वीर’ जैसी फिल्मो में अपना अहम योगदान दिया था । तो चलिए जानते है इनके बारे में –
कौन थे जो मात्र 26 रूपये लेकर भागे थे घर से –
जीवन 1960 और 1970 दशक के सबसे लोकप्रिय खलनायक माने जाते थे, जिन्होंने कई बॉलीवुड फिल्मों में बेहतरीन अभिनय किया है। इसके अलावा उन्होंने धार्मिक फिल्मों में नारद मुनि का रोल भी निभाया है।
आपको बता दे की इनका ( जीवन ) का जन्म 24 अक्टूबर, 1915 को श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर में हुआ था। वास्तविक नाम ओंकार नाथ धर था। जीवन को बचपन से ही अभिनेता बनने का मन था। जीवन के पिता जी पाकिस्तान में स्थित गिलगिट के गवर्नर थे। जीवन की माताजी का देहांत सन 1915 में जीवन साहब के जन्म के समय ही हो गया था। उनकी उम्र तीन साल की होते-होते जीवन के पिताजी भी चल बसे थे। जीवन 18 साल की उम्र में जेब में मात्र 26 रुपये लेकर ओंकार नाथ धर बम्बई (वर्तमान मुम्बई) जाने के लिए घर से भाग गए।
फ़िल्मी दुनिया में कैसे रखा कदम-
मुम्बई में फ़िल्मी दुनिया में प्रवेश के लिए स्टुडियो में जो भी काम मिला, वह स्वीकार कर लिया। जीवन साहब और बाद में ‘शोले’ जैसी अनेक फ़िल्मों के अदभूत कैमेरा मेन द्वारका दिवेचा दोनों दोस्त मिलकर, शूटिंग के दौरान स्टार्स के चेहरे चमकाने के लिए उन पर प्रकाश फेंकने वाले यानि रिफ्लैकटर्स को संभालने वाले मज़दूर बन गए। एक दिन स्टुडियो में निर्माता मोहन सिन्हा यानि ‘रजनी गंधा’ की हिरोइन अभिनेत्री विद्या सिन्हा के दादाजी अपनी नई फ़िल्म के लिए नये कलाकारों के स्क्रीन टेस्ट कर रहे थे। सिन्हा जी ने नौजवान ओंकार नाथ धर को पूछा- “क्या तुम अभिनय करना चाहते हो?” ना कहने का सवाल ही कहाँ था?
इसी दौरान मोहन सिंहा ने जीवन को साल 1935 में रिलीज हुई फिल्म ‘फैशनेबल इंडिया’ में एक छोटा-सा रोल दिया, जिसमें जीवन को चंद लाइनें बोलनी थी। इस तरह जीवन ने फिल्मी पर्दे पर अपने करियर की शुरुआत की थी, हालांकि उस समय तक भी उन्हें फोटोग्राफर ही बनना था।
उनके अभिनय की एक खासियत ये थी कि खलनायकी में वे कॉमेडी भी डाल देते थे। उन्हें दिलीप कुमार के ख़िलाफ़ खलनायक के रूप में फ़िल्म ‘कोहिनूर’ में देखें या ‘नया दौर’ में, अभिनेता जीवन की टक्कर एक अलग ही माहौल खड़ा करती थी। उनका काम ‘अमर अकबर एथॉनी’ में भी काफ़ी सराहा गया था। सन 1964 की फ़िल्म ‘महाभारत’ में उनकी भूमिका ‘शकुनि मामा’ की थी।
नारद मुनि के रोल से मिली थी लोकप्रियता-
आपको बता दे की उन्होंने धार्मिक फिल्मों में नादर मुनि का रोल अदा करके विश्व रिकॉर्ड बनाने का काम किया था। उन्होंने तकरीबन 61 फिल्मों व थियेटर नाटकों में नारद मुनि की एक्टिंग की थी, जिसके वजह जीवन घर-घर में फेमस हो गए थे। जीवन द्वारा नारद मुनि का रोल निभाने का रिकॉर्ड आज तक कोई एक्टर नहीं तोड़ पाया है, जिसे उन्हें पूरे भारत में एक अलग पहचान मिली थी। जीवन ने हिन्दी भाषा के अलावा अलग-अलग भाषाओं वाली धार्मिक फिल्मों में नादर मुनि का रोल निभाया था।
जीवन साहब की फिल्मे-
जीवन साहब की फ़िल्मों में प्रमुख की बात की जाये , तो ‘आबरु’, ‘हमराज़’, ‘बंधन’, ‘भाई हो तो ऐसा’, ‘तलाश’, ‘धरम वीर’, ‘चाचा भतीजा’, ‘सुहाग’, ‘नसीब’, ‘टक्कर’, ‘मेरे हमसफ़र’, ‘डार्लिंग डार्लिंग’, ‘फूल और पत्थर’, ‘इन्तकाम’, ‘हीर रांझा’, ‘रोटी’, ‘शरीफ़ बदमाश’, ‘सबसे बड़ा रुपैया’, ‘प्रोफेसर प्यारेलाल’, ‘बुलंदी’, ‘देशप्रेमी’, ‘सुरक्षा’ और ‘लावारिस’ इत्यादि है ।