क्या आप जानते है : भारत और पाकिस्तान दोनों में बनाई गई ‘उमराव जान’, शराब के लिए लिखा गया था उपन्यास
साल 1981 में आई फिल्म ‘उमराव जान’ का गाना ‘इन आंखों की मस्ती…’ तो आपको याद ही होगा। यह गाना आज भी लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है। इन आंखों की मस्ती गाने को आशा भोसले ने गाया था। इस गाने में रेखा बेहद ही खूबसूरत नजर आई थीं। इस गाने में भी उनकी आंखें, उनका मेकअप और डांस को सभी ने सराहा था। फिल्म उमराव जान की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस फिल्म ने बॉलीवुड की सदाबहार कहे जाने वाली एक्ट्रेस रेखा के करियर को रातों-रात असमान की बुलंदियो पर पहुंचा दिया था।
मिर्जा मुहम्मद हादी रुसवा से जुड़ा एक रोचक किस्सा
इस फिल्म की कहानी मशहूर लेखक मिर्जा मुहम्मद हादी रुसवा के उपन्यास पर आधारित थी। चलिए आज हम आपको मिर्जा के इस उपन्यास से जुड़ा एक रोचक किस्सा बताते हैं। अपने जमाने के मशहूर लेखर मिर्जा मुहम्मद हादी रुसवा ने उमराव जान ‘अदा’ उपन्यास लिखा था, जो साल 1899 में प्रकाशित हुआ। मिर्जा हादी रुसवा एक उर्दू कवि और उपन्यासक, नाटक और नावल निगार, मुख्य रूप से धर्म, दर्शन और खगोल विज्ञान के लेखक थे।
उमराव जान ‘अदा’ उपन्यास पर भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों में फिल्म बनाई गई थी। भारत में साल 1981 और 2006 में दो फिल्में बनी थी, जिन्हें इसी उपन्यास पर आधारित माना जाता है। पाकिस्तान में साल 1972 में रिलीज हुई फिल्म को भी इसी उपन्यास पर आधारित माना जाता है।
शराब की लत की वजह से लिखी गई थी ‘उमराव जान’ की कहानी
आपको बता दे कि बहुत ही कम लोग जानते हैं कि मिर्जा हादी रुसवा ने इस उपन्यास को शराब की लत की वजह से लिखा था। हुआ यूं था कि मिर्जा साहब को शराब पीने की बुरी लत लग गई थी, जिसकी वजह से वह लेखन और बाकी चीजों से पूरी तरह दूर हो चुके थे। शराब में उनकी जमा पूंजी भी जाती रही और उधारी खाता भी शुरू हो गया। शराब और उधारी की वजह से उनके करीबियों ने उनसे दूरी बनाना शुरू कर दिया था।
पैसे के बदले लिखा उपन्यास
जब शराब खरीदने के लिए उन्हें कही से पैसे नहीं तो उन्होंने अपने एक अजीज दोस्त का रुख किया। तब उस दोस्त ने पैसे देने की एवज में मिर्जा साहब के सामने एक उपन्यास लिखने की शर्त रख दी। इस तरह मिर्जा हादी रुसवा ने अपने उसी दोस्त की निगरानी में यह उपन्यास लिखा था। कहा यह भी जाता है कि शराब की लत की वजह से पहले तो मिर्जा साहब को कुछ परेशानी हुई लेकिन किताब लिखने के दौरान उनकी यह लत भी छूट गई थी। कुछ लोगों का मानना है कि उमराव जान ‘अदा’ उनके जीवन में आई एक महिला पर आधारित है तो कुछ इसी मिर्जा साहब के दिमाग की ऊपज बताते हैं।