आखरी समय में अपने रूम में जमीन पर बेहोश पड़े मिले थे संजीव कुमार , सचिन पिलगाओंकर के साथ थी खाश दोस्ती

संजीव कुमार और सचिन पिलगाओंकर : 

संजीव कुमार और सचिन पिलगाओंकर की दोस्ती बहुत पक्की थी। उम्र में सचिन संजीव कुमार से भले ही छोटे थे, पर दोनों ही एक्टर अपने दिल की बातें एक दूसरे से शेयर करते थे। ये किस्सा तब का है, जब अंतिम बार सचिन संजीव कुमार को उनके घर मिलने जा रहे थे। तब उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि वह संजीव से उनकी आखिरी मुलाकात होगी। लेकिन दुख की बात ये थी कि वह सचिन संजीव कुमार से आखिरी बार भी न मिल पाए। हालांकि संजीव कुमार ने उन्हें सुबह सुबह मिलने के लिए बुलाया था। लेकिन उस वक्त सचिन बिजी थे और किसी काम में फंसे हुए थे, जिस वजह से वह एक्टर से मिल नहीं जा पाए ।

घर पर मिलने बुलाया था संजीव ने सचिन को 

सचिन ने बताया था की,  ‘मैं उनसे मिलने उनके घर ही गया था। दरअसल, एक दिन पहले मैं उनसे मिला था, तब वह डबिंग कर रहे थे। तो मैंने कहा कि मैं कल मिलना चाहता हूं, तो उन्होंने कहा सुबह आजा। तो मैंने कहा नहीं मैं दो-ढा़ई बजे के बीच में आता हूं। उन्होंने कहा कि थोड़ा जल्दी नहीं आ सकता! तो मैंने कहा- भैया थोड़ा सा काम है तो मैं वो करके आ जाता हूं। तो उन्होंने कहा ठीक है ’

सचिन घर पहुंचे तो अभिनेता घर में नहीं दिखे 

आगे बताया- ‘मैं उनके घऱ दो ढाई बजे के बीच पहुंच गया। मैंने पूछा कहां हैं, तो बताया गया कि कमरे में हैं, बाथरूम में नहा रहे हैं। आधा घंटा मैं रुका, मैंने पूछा क्या हुआ तबीयत ठीक नहीं है क्या उनकी ? तो बताया गया हां, ठीक नहीं हैं, उनके सेक्रेटरी डॉक्टर को लाने गए हैं। फिर कुछ देर बाद जमनादास जी आए डॉ गांधी को लेकर तो मैंने उनसे पूछा कि क्या हुआ ? तो वो बोले कि उन्हें उल्टी हुई औऱ बल्गम सी निकली। शायद तीन या चार बजे सुबह आए हैं ’ ‘तो मैंने ऐसे कहा कि तबीयत ठीक नहीं है फिर भी लेट नाइट काम कर रहे हैं क्या है ये ? मैंने कहा मिलूंगा तो डांटूंगा उनको। वो मेरे फ्रेंड, फिलॉसिफर और गाइड थे तो हम ऐसा बॉन्ड शेयर करते थे। ऐसी कोई बात नहीं थी जो हम एक दूसरे के साथ शेयर नहीं कर सकते थे। फिर भी मैं आधा घंटा और रुका डॉक्टर भी बाहर थे ’

जब सचिन ने संजीव के रूम का दरवाज़ा खोला 

उन्होंने आगे बताया-‘मुझे थोड़ा सा शक हुआ कि क्या इतना देर तो नहीं करते कभी। कोई भी अंदर जाने से डर रहा था, कोई तैयार नहीं था अंदर जाने के लिए। मैंने सोचा कि मैं जाता हूं ऐसा क्या होगा ज्यादा से ज्यादा चेंज ही कर रहे होंगे। तो सॉरी कह दूंगा दरवाजा बंद कर दूंगा। मैं उनके बेडरूम की तरफ बढ़ा, उनके कमरे का स्लाइडिंग डोर था। तो मैंने उसे ओपन किया ’.  ‘सामने तो कोई नहीं दिखा पर नीचे कार्पेट पर दो पैर नजर आए। मैंने आगे आकर देखा तो वो दरवाजे की तरफ हाथ कर के उल्टे कार्पेट पर पड़े हुए थे। ये देख मैं जोर से चिल्लाया। मैंने डॉक्टर को बुलाया जल्दी आओ। डॉक्टर आया उनके पास बैठा और उन्हें उल्टा किया, छाती पर पंप दिया। डॉक्टर ने बताया कि काफी देर पहले ही ये चले गए। मेरे पैरों तले जमीन निकल गई थी।

 

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