गुलशन ग्रोवर : मां के गहने, पिता का घर गिरवी रखकर आये मुंबई , आज है बॉलीवुड के इंडस्ट्री के ‘बैड मैन’

बॉलीवुड के बैड मैन गुलशन ग्रोवर :

बॉलीवुड के बैड मैन यानि कि ‘गुलशन ग्रोवर’ को कौन नहीं जानता। इंडस्ट्री में वैसे तो बहुत खलनायक हुए लेकिन बहुत कम ही खलनायक हैं जिन्होंने लोगों पर बहुत गहरी छाप छोड़ी हो। उन्हीं कुछ चुनिंदा विलेन में से एक हैं गुलशन ग्रोवर । आज बॉलीवुड इंडस्ट्री में भला कौन है जो गुलशन ग्रोवर को नहीं जानता। उन्होंने आज अपने दम पर इंडस्ट्री में वो मुकाम हासिल कर लिया है, जो बड़े- बड़ों के बस की बात नहीं।

गुलशन ग्रोव पर लिखी गई हैं किताब ‘बैड मैन’ 

गुलशन ग्रोव ने न सिर्फ अपनी जबरदस्त एक्टिंग से बल्कि अपने लुक से भी लोगों के बीच में डर कायम करके रखा था। बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड, जर्मन, ऑस्ट्रेलियन और ब्रिटेन की फिल्मों अपना परचम लहरा चुके गुलशन ग्रोवर पर एक किताब लिखी गई हैं किताब का नाम है ‘बैड मैन’। बता दें कि ये उनकी एक फिल्म का बेहद ही फेमस डायल़ॉग है। उनकी इस किताब में उनकी जिंदगी से जुड़े कई किस्से शेयर किए गए हैं। ऐसी कई बातें बताई गई हैं जो इंडस्ट्री में क्या, बाहरी दुनिया में उनके फैंस को भी पता नहीं होंगी।

400 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया

इंडस्ट्री के मोस्ट फेवरेट विलेन ने अपने फिल्मी करियर में 400 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया है। लेकिन आज जिस शोहरत का मजा वो ले रहे हैं उसके पीछे बहुत संघर्ष छुपा हुआ है और इन्हीं संघर्ष का खुलासा उन्होंने अपनी किताब में किया है। गुलशन में बताया कि उनका स्कूल दोपहर को होता था, लेकिन वे सुबह ही बस्ते में स्कूल की यूनिफॉर्म रखकर घर से निकल जाया करते थे। वे हर सुबह अपने घर से दूर बड़ी-बड़ी कोठियों में बर्तन और कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट पाउडर बेचा करते थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने मुम्बई का रुख करने का मन बना लिया था। वे एक्टिंग में अपना करियर बनाना चाहते थे।

मां के गहने और पिता का घर गिरवी रखकर मुंबई आये थे 

बता दें कि गुलशन ग्रोवर ने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से मास्टर्स की पढ़ाई की हुई है, लेकिन इसके लिए भी उन्होंने काफी मशक्कत की है। अपनी बायोग्राफी में मुंबई जाने की बात पर गुलशन ग्रोवर ने लिखा है, ‘जब पहली बार मैं मुंबई आया था, तब घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। जिसकी वजह से मेरी मां को अपने गहने और पिता को घर गिरवी रखना पड़ा था, लेकिन ना कामयाबी मिलने पर मुझे वापस घर जाना पड़ा”।

इसके बावजूद भी मैं हार नहीं मानी , और फिर से अपने पिता जी से बात की और उनसे कहा कि ‘मैंने दोबारा मुंबई जाऊंगा , भले ही उस शहर ने मेरे साथ बुरा बर्ताव क्यों न किया हो, लेकिन इस बार मुझे कोई डेडलाइन नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे समय की जरूरत है, ताकि मैं एक एक्टर के तौर पर अपनी कमजोरियों और अपनी ताकत को एक ट्रेनिंग लेकर समझ सकूं। इतनी दिक्कतों और तंगी के बावजूद भी मेरे मां-बाप ने मुझे नहीं रोका औऱ मैं फिर से मुम्बई चला है।

 

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