सही शॉट लेने के बाद भी अधिक रीटेक लेते थे एच.एस. रवैल , इसलिए फिल्म ‘लैला मजनू’ बनी 130 दिनों में
60’s में फिल्म इंडस्ट्री को दी बेहतरीन फिल्में:
एच.एस. रवैल,ऐसे डायरेक्टर जिन्होंने 60’s में फिल्म इंडस्ट्री को बेहतरीन फिल्में दी थीं। 1963 में रिलीज हुई हिट फिल्म ‘मेरे महबूब’ भी उनके डायरेक्शन में बनी थी। इसके बाद उन्होंने रोमियो और जूलियट की कहानी से इंस्पायर होकर फिल्म ‘लैला मजनू’ बनाई। ये फिल्म ऋषि कपूर की हिट फिल्मों में से एक थी।
लगातार ये तीन फिल्मे हुई फ्लॉप
एच.एस. रवैल की लगातार 3 फिल्में, ‘शुक्रिया’ , ‘जिद’ और ‘झूठी कसमें’ बाॅक्स ऑफिस पर फ्लॉप हुई थी। 1 साल बाद उन्होंने 1949 में रिलीज हुई फिल्म ‘पतंग’ से कमबैक किया। ये फिल्म 1949 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक थी। इस फिल्म का गाना ‘मेरे पिया गए रंगून’, आज भी लोगों को याद है और इसे शमशाद बेगम ने गाया था।
नानाभाई भट्ट ने निरूपा रॉय के साथ मिलकर बनायीं थी।
एच.एस. रवैल की 9 फिल्में लगातार बाॅक्स आफिस पर पिट गई थीं। इसके बाद उन्होंने मार्च 1956 में दो और फिल्मों के प्रोजेक्ट को शुरू किये थे, जिसमें मीना कुमारी के साथ फिल्म ‘चालबाज’और ‘वैजयंती माला’ के साथ फिल्म ‘बाजीगर’ शामिल थी। हालांकि उन्हें इन दोनों के बाद ड्राॅप करना पड़ा जिसे बाद में नानाभाई भट्ट ने निरूपा रॉय के साथ मिलकर बनाया था।
3 साल बाद फिल्म ‘शरारत’ से किया कम बैक
लगातार फ्लॉप फिल्मों के कारण एच.एस. रवैल ने सिनेमा जगत से 3 साल का ब्रेक लिया था। फिर 1959 में रिलीज हुई फिल्म ‘शरारत’ से उन्होंने कमबैक किया था। इस फिल्म में किशोर कुमार, मीना कुमारी और राज कपूर नजर आए थे, पर ये फिल्म भी पिट गई थी।
‘मेरे महबूब’ से मिली थी एच.एस. रवैल को बड़ी सफलता
एच.एस. रवैल को बड़ी सफलता 1963 में रिलीज हुई फिल्म ‘मेरे महबूब’ से मिली थी। इसमें राजेंद्र कुमार और साधना शिवदासानी लीड रोल में थे। उसके बाद उन्होंने राजेश खन्ना और लीना चंदावरकर के साथ मिलकर फिल्म ‘महबूब की मेहंदी’ बनाई थी। ये फिल्म राजेश खन्ना के हिट फिल्मों से एक थी।
‘लैला मजनू’ थी काफी खर्चीली फिल्म
एच.एस. रवैल की आदत थी कि शाॅट कितना भी अच्छा क्यों ना हो, वो एक से अधिक रीटेक जरूर लेते थे। फिल्म लैला मजनू को बनने में 130 दिन लगे थे, क्योंकि यह एक पीरियड ड्रामा फिल्म थी और खर्चीली भी बहुत थी। कॉस्ट्यूम और भव्य सेट्स के अलावा इस फिल्म के सारे गाने भी हिट थे।
दीदार-ए-यार बतौर निर्देशक थी आखिरी फिल्म
दीदार-ए-यार (1982) के निर्देशक के रूप में एच.एस. रवैल की आखिरी फिल्म थी। ये फिल्म भी बाॅक्स आफिस पर पिट गई थी। जिसके बाद उन्होंने सिनेमा जगत से विश्राम ले लिया। इसके बाद 83 साल की उम्र में 17 सितंबर 2004 को मुंबई में उनका निधन हो गया।