जब शर्मीला ने कहा -अब चाहे मां रूठे या बाबा, मैंने तेरी बांह पकड़ ली

दाग 1973 में बनी हिन्दी भाषा की नाट्य प्रेमकहानी फ़िल्म है। इसका निर्देशन यश चोपड़ा ने किया और ये उनकी निर्माता के रूप में पहली फ़िल्म रही। इस प्रकार यश राज फिल्म्स की नींव रखी गई। इसमें राजेश खन्ना, शर्मिला टैगोर, राखी, मदन पुरी, कादर ख़ान, प्रेम चोपड़ा और ए के हंगल मुख्य कलाकारों में शामिल हैं

बात सन 1970 की है कि बंबई के हर दूसरे प्रोडक्शन हाउस में एक ही बात की चर्चा चलती रहती थी और वो ये कि बलदेव राज चोपड़ा यानी बी आर चोपड़ा के छोटे भाई ने अपनी अलग फिल्म कंपनी खोल ली है। यशराज चोपड़ा को अपनी नई कंपनी खोलने का ख्याल भी आया तो राजेश खन्ना की वजह से ही। आखिरकार, राजेश खन्ना का करियर डूबने से यश चोपड़ा ने ही तो बचाया था। यश चोपड़ा तब बीआर फिल्म्स के लिए काम किया करते थे और राजेश खन्ना की शुरू की पांचों फिल्में फ्लॉप हो चुकी थीं। यश चोपड़ा उन दिनों फिल्म आदमी और इंसान की शूटिंग कर रहे थे जब सायरा बानो के बीमार पड़ते ही शूटिंग रुक गई। सायरा बानो ठीक होकर लौटीं कोई महीने भर बाद और इस बीच सिर्फ 28 दिन के शूट में यश चोपड़ा ने बना डाली फिल्म इत्तेफाक, जो राजेश खन्ना के करियर की पहली हिट फिल्म बनी।

इत्तेफाक की कामयाबी का एहसान राजेश खन्ना ने फिल्म दाग से उतारा। दाग के संवाद लिखने से पहले अख्तर उल इमान तमाम सुपरहिट फिल्मों के संवाद या पटकथा या दोनों लिख चुके थे। इनमें शामिल हैं, कानून, धर्मपुत्र, गुमराह, वक्त, मेरा साया, गबन, पत्थर के सन्म, हमराज के अलावा आदमी और इंसान जैसी चर्चित फिल्में। यश चोपड़ा से उनकी पटती भी खूब थी। तो एक दिन राजेश खन्ना, यश चोपड़ा और अख्तर उल इमान मिल बैठे। दाग की कहानी गुलशन नंदा ने सुनाई जिनके उपन्यास उन दिनों देश भर के बुक स्टाल्स पर धूम मचा रहे थे। फिल्म में हीरोइन के तौर पर आईं राजेश खन्ना की फेविरट हीरोइन शर्मिला टैगोर और इसी फिल्म से यश चोपड़ा ने हिंदी सिनेमा को दिया चांदनी का किरदार। यश चोपड़ा की किसी भी फिल्म में चांदनी नाम का किरदार सबसे पहले करने का मौका मिला उन दिनों की उभरती अदाकारा राखी को।

फिल्म दाग में किशोर कुमार का गाया गाना, मेरे दिल में आज क्या है, तू कहे तो मैं बता दूं, उस साल का सुपरहिट गाना रहा। उस साल की सालाना बिनाका गीत माला में ये नंबर 20 पर रहा और नंबर सात पर उस साल जो गाना रहा वो था फिल्म दाग का ही गाना, अब चाहे मां रूठे या बाबा, मैंने तेरी बांह पकड़ ली। कम लोगों को ही पता होगा कि राजेश खन्ना को अपनी फिल्मों मैं लम्बे डायलाग  का बड़ा शौक रहा करता था। फिल्म दाग में भी उन्होंने, मैं तो कुछ भी नहीं, –

मै तो कुछ भी नही (दाग-1973)
Main to kuch bhi nahin (Daag -1973)

आप,आप क्या जाने मुझको समझते है क्या मै तो कुछ भी नही |इस कदर प्यार इतनी बड़ी भीड़ का मै रखूँगा कहाँ
इस कदर प्यार रखने के काबिल नही,मेरा दिल, मेरी जान
मुझको इतनी मुहब्बत ना दो दोस्तों,
मुझको इतनी मुहब्बत ना दो दोस्तों
सोच लो दोस्तों
इस कदर प्यार कैसे संभालूँगा मैं
मै तो कुछ भी नही |प्यार,
प्यार एक शख्श का भी अगर मिल सके
तो बड़ी चीज़ है जिन्दगी के लिए
आदमी को मगर ये भी मिलता नही
ये भी मिलता नही,
मुझको इतनी मुहब्बत मिली आपसे
ये मेरा हक नही मेरी तकदीर है
मैं ज़माने की नज़रो में कुछ भी ना था
मेरी आँखों में अब तक वो तस्वीर है
उस मुहब्बत के बदले मै क्या नज़र दूँ
मै तो कुछ भी नही |इज्ज़ते, शोहरते, चाहतें, उल्फतें ,
कोई भी चीज़ दुनिया में रहती नही
आज मै हूँ जहाँ, कल कोई और था
ये भी एक दौर है, वो भी एक दौर था
आज इतनी मुहब्बत ना दो दोस्तों
कि मेरे कल के खातिर कुछ भी ना रहे
आज का प्यार थोडा बचा कर रखो
थोडा बचा कर रखो मेरे कल के लिए
कल कल जो गुमनाम है
कल जो सुनसान है
कल जो अनजान है
कल जो वीरान है
मै तो कुछ भी नही |

साहिर लुधियानवी के बोल और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का संगीत बेमिसाल रहा और दाग बनी एक ब्लॉकबस्टर फिल्म।

 

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