जब श्रीदेवी ने किया जीवन का चुनौती भरा रोल क्या थी फिल्म की कहानी और अन्य किस्से

फिल्म लम्हे ( 1991 )का निर्देशन यश चोपड़ा ने किया था। आपको बता दें कि यश चोपड़ा अपनी रोमांटिक फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। वह कभी कभी , सिलसिला , दाग , दूसरा आदमी जैसी फिल्मे बना चुके थे । सिलसिला में काम करते वक़्त वह चांदनी जैसे किरदार पर  महिला प्रधान फिल्म  बनाना चाहते थे इसके लिए रेखा का ही नाम उनके दिमाग में चल रहा थे , दरअसल उनके पास उस समय दो फिल्मो की  ऐसी कहानी थी जो थी तो प्रेम पर आधारित पर थी वह भी लीग से हटकर – चांदनी और लम्हे 

लम्हे  जिसको  लिखा  था  हनी ईरानी ने ( पहली फिल्म ) और राही मासूम रजा  ने रोमांटिक म्यूजिकल ड्रामा के साथ  इसमें  कॉमेडी को खूब जगह दी  गयी थी

फिल्म की कहानी के अनुसार एक युवा कुंवर को अपनी उम्र से बड़ी औरत औरत से प्यार हो जाता है जो उन्ही के पिता के दोस्त की बेटी थे परतु वह किसी और से करती है जहा एक एक्सीडेंट में दोनों को ( पति पत्नी ) की मृत्यु हो जाती है और वह छोड़ जाती है एक छोटी सी बेटी को जिसको बड़ा करती है खुद कुंवर साब की दाई उन्ही के हवेली में और बाद में दिखाया गया की वह भी अपनी माँ जैसी खूबसूरत  परन्तु स्वभाव में थोड़ी आधुनिक और चुलबुली , कुंवर  इनमे भी अपनी यादो को ढूढ़ते है परतु बेटी भी कुंवर को पसंद करती है , फिल्म में इसी बात को लेकर आपसी एवं अंदुरुनी संघर्ष को  बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया है । फिल्म का अंत भारतीय समाज के हिसाब से बहुत अलग था इसलिए बेहतरीन फिल्म होने के बाद भी भारत में काम चली परन्तु विदेशो में बहुत सराहा गया और वह ये फिल्म खूब चली ।

फिल्म का संगीत दिया शिव हरी की बेमिसाल जोड़ी ने और गीत लिखे – आनंद बक्शी साब ने , फिल्म की कहानी राजस्थान परिवेश कला रेगिस्तान,हवेलियां, संस्कृति में गढ़ी गयी ( ये हनी ईरानी के पहली फिल्म थी ) स्क्रीन प्ले को बड़ा किया खुद पामेला चोपड़ा यानी  यशजी की पत्नी ने । फिल्म के गीत बोल और उनका फिल्मांकन थे एक से  बढ़कर एक 

लता जी “चूड़ियाँ खनक गयी,मेरी बिंदिया, मेघा रे मेघा मेरा,मोहे छेड़ो ना में आपको राजस्थान की झलक दिख जाएगी ,इला अरुण ने म्हारे राजस्थान मा,चूड़ियाँ खनक गयी, रेशम के रूमाल जैसे गीतों पर आवाज दी  हरिहरन की गीत कभी में कहु , ये लम्हे  ये पल हम बरसो याद जैसे गीतों ने इसके मधुर संगीत को अमर कर दिया ।

इस फिल्म की शूटिंग के दौरान श्रीदेवी के पिता का निधन हो गया था। जिसके कारण वह मानसिक रूप से बहुत विचलित हुई फिल्म का किरदार भी बहुत चुनौतीपूर्ण था परतु  श्रीदेवी ने अपने आप को संभाला और बहुत ही समझदारी से  निजी एवं व्यावसायिक दृष्टि से न्याय किया और फिल्म की शूटिंग पूरी करी। ये फिल्म उनके   फ़िल्मी जीवन में मील का पत्थर साबित हुई और उन्हें  इस फिल्म के लिए फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला । फिल्म  में एक शानदार पैरोडी भी है जो फिल्मायी गयी सभी कलाकारों पर जिसको खुद गाया पामेला जी और सुदेश भोसले ने ।

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फिल्म की अधिकांश शूटिंग जयपुर के राम बाग़ पैलेस होटल , जैसलमेर  के धोरो और लन्दन में हुई इसमें अनिल कपूर एक ठाकुर बना के रोल में थे जो कहानी के शरुआत में दिखे लंदन से पढ़े और लौटे युवा रूप में और फिल्म के बाकि भाग में लंदन में कार्यरत एक प्रतिष्ठित  अनुभवी व्यवसायी । फिल्म की कहानी के अनुसार उनको  श्रीदेवी से  युवा और कम उम्र का दिखना था लिहाजा स्क्रीन पर प्रथम बार उन्होंने अपनी मूछे कटवाई साथ हे वजन को भी काफी कम किया । अनिल के दोस्त के किरदार में अनुपम खेर ने अपनी  गहरी छाप छोड़ी थी।

Lamhe: Anil Kapoor-Sridevi's unforgettable moments of love » Sukanya VermaLamhe turns 30: Anil Kapoor remembers the 'iconic' film | Hindustan TimesMoranii Baagaa Maa Bole Aadhii Raatamaa Lyrics - Lamhe | Anupam Kher | Anil Kapoor | Waheeda Rehman | Lata Mangeshkar | Ila Arun - LyricsTashan

वहीदा  जी  जो पहले भी यश जी के साथ अन्य फिल्मो में काम कर चुकी थी उन्होंने इस फिल्म में एक महत्वपूर्ड  रोल किया ( अनिल कपूर की दाई जा  का ) कभी कभी ( मेरे घर आयी एक नन्ही पारी ) के बाद इस फिल्म में भी  लोरी जैसा गीत  उनपर फिल्माया  गया – गुड़िया रानी

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यशजी जानते थे की फिल्म में रिस्क है इसलिए उन्होने इस फिल्म के पहले बनायीं चांदनी  इस  फिल्म की सफलता के बारे में किसी को बताने की जरूरत नहीं है. चांदनी फिल्म के गाने-डांस और श्रीदेवी की क्यूटनेस ने दर्शकों को दीवाना बना दिया था. इस के चलते  यश जी ने श्रीदेवी को लेकर  ‘लम्हे’ बनाने का फैसला किया और इस फिल्म में रेखा की जगह श्रीदेवी को ही कास्ट किया.

लम्हे भले ही बॉक्स ऑफिस पर कामयाब न हुई हो, पर इसे श्रीदेवी और अनिल कपूर की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में शामिल किया गया। इसे  यश जी की बेस्ट फिल्म कहा गया। फिल्म को राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार सहित पाँच फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुए थे।

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