जब रेखा को धक्का दिया मगरमच्छ के सामने देखे फिर किया हुआ
फिल्म जगत के अंदर 1980 के दशक के दौरान अधिकांश फिल्में पुरुष प्रधान बन रही थी इसी समय साल 1988 के राकेश रोशन ने एक फिल्म बनाई जिसका नाम था खून भरी मांग
यह यह फिल्म रोमांस ममता त्याग और बदले के ऊपर बनी थी कहां जाता है कि इस फिल्म आईडिया राकेश रोशन ने ऑस्ट्रेलिया की एक मिनीसीरीज रिटर्न टू इडेन नामक सीरीज से लिया था।
फिल्म में ज्योति (रेखा )को एक अमीर घराने की बहू के रूप में दिखाया था जिनकी पति की मृत्यु एक एक्सीडेंट में हो जाती है और उनके २ बच्चे भी है बड़ते हुए बच्चो को पिता की कमी महसूस होती है और इस बात का फायदा का फायदा लेकर संजय ( कबीर बेदी )ज्योति से शादी कर लेता है और मौका देखते ही अपने हनीमून के दौरान ही उसे मगरमच्छ के सामने धक्का दे देता है प्रकार का दृश्य हिंदी सिनेमा के अंदर शायद ही पहले कभी दिखाया गया हो बरहाल फिल्म आगे बढ़ती है ज्योति किसी तरह बच जाती है और अपनी सर्जरी कराकर वापस आती है और संजय यानी कबीर बेदी और उसके साथियों से उसी तरह बदला लेती है जैसा कि उन्होंने उसके वा परिवार के साथ किया था।
इस फिल्म के साथ रेखा को कमर्शियल फिल्मों के अंदर एक जबरदस्त वापसी हुई और उनको साल के बेस्ट अभिनेत्रिय का पुरूस्कार भी मिला ।रेखा ने पहली बार फिल्म के लिए घोड़ा चलाने के ट्रेनिंग ले और घोड़े को दौड़ाया भी ।
जैसा कि फिल्म जगत में हम सभी जानते हैं कि राकेश रोशन और जितेंद्र की बहुत घनिष्ठ मित्रता है इसलिए उन्होंने पहले रेखा के पति का रोल जितेंद्र को प्रपोज किया परंतु जितेंद्र उस समय अन्य फिल्मों में बहुत व्यस्त है अतः राकेश रोशन ने खुद विक्रम सक्सेना का रोल किया ।
राकेश रोशन पहले संजय वाले रोल के लिए दीपक पराशर को लेना चाहते थे लेकिन रेखा ने कुछ दिन पूर्व ही विदेश में कहीं कबीर बेदी से मुलाकात की थी उन्हें वह इस रोल के लिए उपयुक्त लगे उनकी बात को रखते हुए राकेश रोशन ने तुरंत कबीर बेदी को फोन किया जो समय विदेश में है शूटिंग कर रहे थे कई साल पहले राकेश रोशन और कबीर बेदी ने बुलेट नामक फिल्म की थी जबसे दोनो की अच्छी दोस्ती थी l कबीर मान गए, राकेश की बस एक ही शर्त थी की शूटिंग 3 महीने में पूरी करनी होगी । कबीर बेदी को इसी फिल्म ने दुबरा हिंदी फिल्म जगत में अपनी जगह बनाने में मदद की ।
इसी प्रकार सोनू वालिया की जगह अनीता राज को होना था पर अनीता राज ने किसी भी प्रकार की नकारात्मक भूमिका लेकर राकेश रोशन को मना कर दिया याद रहे सोनू वालिया हिंदुस्तान की मिस इडिया पीजेंट रह चुकी थी और उनकी यह दूसरी फिल्म थी इसी फिल्म के द्वारा उनके ऊपर एक गीत शूट किया गया था मैं तेरी हूं जानम इस गीत को एक्स अंग्रेजी फिल्म Chariots of Fire– के थीम सॉन्ग से लिया गया था।
फिल्म संगीत राजेश रोशन के द्वारा दिया गया , इसमें हंसते-हंसते कट जाए रस्ते जिंदगी यूं ही चलती रहे,जीने के बहाने लाखो ही जीना तुझको आया ही नहीं प्रमुख है ।
सोनू वालिया को भी बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस और संजय वर्मा को बेस्ट एडिटिंग के लिए साल का filmfare अवार्ड दिया गया । फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी जमकर कमाई करी ।