कैसे बना अमर गीत – रंग बरसे भींगे चुनर वाली रंग – जाने इसकी असली कहानी

रंगों का त्योहार कहे जाने वाले होली के आते ही माहौल भी रंगीन हो जाता है। हर कोई इस त्योहार का इंतजार बेसब्री से करता है। होली के त्योहार में जश्न का अपना ही एक मजा होता है। ऐसे में अगर होली की बात हो और फिल्मी गानों का जिक्र ना हो तो होली का मजा अधूरा रह जाता है। वैसे तो बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में बनी हैं जिनमें होली का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाते दिखाया गया है। होली के इन्हीं गानों की धुन  पर आज भी हर कोई झूम उठता है।

परन्तु  साल 1981 एक फिल्म  रिलीज हुई  सिलसिला  ,जो बनायीं व निर्देशित की गयी थी यश चोपड़ा के द्वारा । इस फिल्म का  संगीत प्रथम बार दिया दिया था प्रसिद्ध बांसुरीवादक हरिप्रसाद चौरसिया तथा प्रसिद्ध संतूरवादक पंडित शिव कुमार शर्मा  -इस फिल्म में एक गीत बना और  जो की सदैव  के  लिए अमर हो गया  – रंग बरसे भीगे चुनार वाली  इस गीत के बिना अब होली  अधूरी लगती है पूरे विश्व मैं शायद ही ऐसी होली होती होगी जहा अमिताभ का  गाया – रंग बरसे भीगे चुनर वाली गाना न बजता होगा जो लिखा था  उनके बाबूजी – हरवंश रॉय बच्चन  ने ।

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रंग बरसे गाने के पीछे कहानी यह है  फिल्म  गंभीर विषय पर आधारित थी फिल्म पूरी होने के बाद यशजी को लगा की इसमें नायक का एक सीन या गीत होना  चाहये जहा नायक  अपनी बरसो से  दबी चाहत का ऐलान कर दे उन्हे लगा की होली से अच्छा कोई मौका नहीं होता तो उन्होने इस पर सीन के बजाए गाना लिखे जाने का जावेद साब से अनुरोध किया , परन्तु उन्होने कहा की मुझे समय लगेगा जबकि यश फिल्म को जल्दी ख़तम  करना  चाहते थे कहा जाता है  फिल्म की शूटिंग के दौरान सेट पर माहौल काफी टेंस रहता था। इसकी वजह थी अमिताभ, जया और रेखा। यही वो वक्त था अमिताभ-रेखा के अफेयर की खबरें सबसे ज्यादा सुर्खियों में थी।

यशजी इस गीत में सभी पात्रो को भी रखना चाहते थे तब पंडित शिव प्रकाश शर्मा एवं हरिप्रसाद चौरसिया ने अमिताभ बच्चन से कहा की होली का माहौल है तो इसका गीत को भी  उत्तर प्रदेश से आना चाहिए आप क्यों नहीं अपने बाबू जी से बात करते

  बाबूजी जो  उत्तर प्रदेश इलाहाबाद से आते हैं और बचपन से ही वह अपने मोहल्ले में होली के अवसर पर इसी गीत को मंडली के साथ गाया करते थे  बस फिर किया था बाबूजी  को पता था इस गीत को उनके बेटे पर फिल्माया जाना है और वह भी इस प्रकार के लोक गीतों को उनके साथ बचपन से गाते हुए आये है ,उन्होने इस गीत को फिल्म के हिसाब से तैयार कर दिया, अब किसी कारण किशोर दा इस गीत को गाने के लिए उपलब्ध नहीं हो पाए तो शिव -हरि ने अमिताभ से कहा की ये फिल्म आपकी है आप इस  गीत को जानते है यदि आप खुद गा देंगे तो फिल्म में यह चार चाँद लगा देगा पहले तो अमिताभ नहीं माने परन्तु सबके कहने पर मान गए और गीत गा दिया जो बन गया होली की पहचान ।

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एक बार हरि प्रसाद जी कहा की इस प्रकार की गीत  (न तो वह खुद ) अब और कोई नहीं बना पायेगा  जो हर साल हर पीढ़ी को एक नए आनंद, मस्ती , यादो  की अनुभूति  देगा। इस फिल्म के बाद भी यशजी ने अपनी अन्य फिल्मो में होली के गाने का प्रयोग किया और वह गीत भी बहुत हिट हुए । परन्तु होली का रंग बरसे जो गीत बना वह सदा के लिए अमर हो गया ।

फिल्म के अन्य गीत  “सुपर-हिट”  बने  जो अब भी लोकप्रिय है।। 

 

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